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________________ 5. पांचवें स्थान में पांच महाव्रत, पांच समिति, पांच गति, पांच इन्द्रिय इत्यादि। . 6. छठे स्थान में छः काया, छः लेश्याएं, गणी के छ: गुण, षड्द्रव्य, और छ: आरे इत्यादि। 7. सातवें स्थान में अल्पज्ञों के तथा सर्वज्ञ के 7 लक्षण, सप्त स्वरों के लक्षण, सात प्रकार का विभंग ज्ञान, इस प्रकार अनेकों ही सात-सात प्रकार के पदार्थों का सविस्तर वर्णन 8. आठवें स्थान में एकलविहारी तब हो सकता है, यदि वह आठ गुण सम्पन्न हो। 8 विभक्तियों का विवरण, अवश्य पालनीय आठ शिक्षाएं। इस प्रकार अनेकों शिक्षाएं आठ संख्यक दी हुई हैं। 9. नवें स्थान में नव बाड़ें ब्रह्मचर्य की, महावीर के शासन में नव व्यक्तियों ने तीर्थंकर नाम गोत्र बांधा है, जो अनागत काल की उत्सर्पिणी में तीर्थंकर बनेंगे, जिनके इहभविक नाम ये हैं-राजा श्रेणिक, सुपार्श्व, उदायी, प्रोष्ठिल, दृढायु, शंख, शतक, सुलसा, रेवती। इनके अतिरिक्त नौ-नौ संख्यक अनेकों ही ज्ञेय, हेय, उपादेय शिक्षाएं वर्णित हैं। ___10. दसवें स्थान में दस चित्तसमाधि, दस स्वप्नों का फल, दस प्रकार का सत्य, दस प्रकार का असत्य, दस प्रकार की मिश्र भाषा, दस प्रकार का श्रमणधर्म, दस स्थानों को अल्पज्ञ नहीं सर्वज्ञ जानते हैं, इस प्रकार दस संख्यक अनेकों वर्णनीय विषयों का उल्लेख किया गया है। यह तीसरा अंग सूत्र दस अध्ययनात्मक है। इक्कीस उद्देशन काल हैं। 72 हजार पद परिमाण हैं। इस सूत्र में नाना प्रकार के विषयों का संग्रह है, यदि इसे भिन्न-भिन्म विषयों का कोष कहा जाए तो कोई अनुचित नहीं होगा। यह अंग जिज्ञासुओं के लिए अवश्य पठनीय है। शेष वर्णन भावार्थ में लिखा जा चुका है ।। सूत्र 48 ।। ४. श्री समवायांग सूत्र , मूलम्-से किं तं समवाए ? समवाए णं जीवा समासिज्जंति, अजीवा समासिज्जति, जीवाजीवा समासिज्जंति, ससमए समासिज्जइ, परसमए समासिज्जइ, ससमय-परसमए समासिज्जइ, लोए समासिज्जइ, अलोए समासिज्जइ, लोआलोए समासिज्जइ। ___ समवाए णं इगाइआणं एगुत्तरिआणं ठाण-सय-विवड्ढिआणं भावाणं परूवणा आघविज्जइ, दुवालसविहस्स य गणिपिडगस्स पल्लवग्गे समासिज्जइ। समवायस्स णं परित्ता वायणा, संखिज्जा अणुओगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखिज्जाओ निज्जुत्तीओ, संखिज्जाओ पडिवत्तीओ। * 452 *
SR No.002205
Book TitleNandi Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherBhagwan Mahavir Meditation and Research Center
Publication Year2004
Total Pages546
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size12 MB
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