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लेकर नगर में बेचने के लिए गया। नगर के द्वार पर पहुंचते ही उसे एक धूर्त नागरिक मिला। ग्रामीण को भोला-भाला समझ कर उसने उसे ठगने का विचार किया। यह विचार कर नागरिक धूर्त ने ग्रमीण से कहा-"भाई ! यदि मैं तुम्हारी सब ककड़ियां खा जाऊं तो तुम मुझे क्या दोगे?" ग्रामीण ने कहा-"यदि तुम सब ककड़ियां खा जाओ तो मैं तुम्हें इस द्वार में न आ सके, ऐसा लड्डू दूंगा।" दोनों में यह शर्त निश्चित हो गई और कुछ अन्य व्यक्तियों को साक्षी बना लिया गया।
इसके अनन्तर उस धूर्त नागरिक ने उन सब ककड़ियों को थोड़ा-थोड़ा खा कर जूठा करके रख दिया और ग्रामीण से बोला-“ले भाई ! तेरी सारी ककड़ियां खा ली हैं, इसलिए शर्त के अनुसार मुझे लड्डू दे।" ग्रामीण ने उत्तर दिया-"तने ककड़ियां कहां खाई हैं, ये तो सारी उसी प्रकार पड़ी हुई हैं, मैं कैसे लड्डू दूं?" नागरिक बोला-"मैंने सारी खा ली हैं। यदि तुम्हें विश्वास न हो तो विश्वास करा देता हूं।" ग्रामीण ने कहा-"अच्छा बताओ कैसे खा ली हैं।" ___ तत्पश्चात् धूर्त के कथनानुसार उन दोनों ने ककड़ियाँ बाजार में बेचने के लिए रख दीं। ग्राहक ककड़ियां खरीदने के लिए आने लगे। वे उन ककड़ियों को देख कर कहने लगे-"ये तो सारी खायी हुई हैं, हम इन्हें कैसे लें?" लोगों के इस प्रकार कहने पर धूर्त ने उस ग्रामीण को और साक्षियों को विश्वास दिला दिया। बेचारा ग्रामीण घबरा गया और सोचने लगा-हाय ! अब मैं प्रतिज्ञा के अनुसार इतना बड़ा लड्डू इसको कैसे दूं? वह भयभीत होकर नम्रता से धूर्त को एक रुपया देने लगा। परन्तु वह उसे स्वीकार नहीं करता। तब उसे दो रुपये दिये, फिर भी वह नहीं मानता है। अन्त में ग्रामीण ने कहा-सौ रुपया ले ले, मेरा पीछा छोड़। परन्तु, धूर्त तो प्रतिज्ञानुसार उतना बड़ा लड्डू ही लेने पर उतारू था।
जब वह धूर्त किसी प्रकार न माना तो ग्रामीण ने सोचा कि-हाथी.को हाथी से लड़ाना चाहिए और धूर्त से धूर्त को, अन्यथा यह मानेगा नहीं। इस धूर्त नागरिक ने मुझे बातों में फंसाकर मेरे साथ ठगी की है, इसलिए इस जैसा ही कोई इसे ठीक कर सकता है। यह विचार कर उसने धूर्त से कुछ दिनों बाद लड्डू देने के लिए कहा और स्वयं किसी अन्य धूर्त को ढूँढ़ने लगा। ___ ढूंढते-ढूंढते उसे एक अन्य धूर्त मिल गया और उससे सारी स्थिति स्पष्ट की। उसने उस
का उपाय बता दिया। ग्रामीण बाजार में हलवाई की दुकान पर गया, एक लड्डू लेकर • साक्षियों और धूर्त को बुला लाया। ग्रामीण ने नगर के द्वार के बाहर खूटी से लड्डू को बांध दिया और सबके सामने लड्डू को बुलाने लगा-"अरे लड्डू ! चलो ! अरे लड्डू चलो !" परन्तु लड्डू कहाँ चलने वाला था? तब ग्रामीण ने साक्षियों को सम्बोधित करते हुए कहा"भाइयो ! मैंने आप लोगों के सामने यह प्रतिज्ञा की थी कि यदि मैं हार गया तो ऐसा लड्डू