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खाली हाथ नहीं करने चाहिएं" नीति की इस उक्ति का ध्यान रखते हुए रोहक ने मिट्टी का एक ढेला हाथ में ले लिया। राजा के पास जाकर उसने उचित रीति से राजा को प्रणाम किया और उसके समक्ष मिट्टी का ढेला रख दिया।
राजा ने रोहक से पूछा-" यह क्या है?" उत्तर देते हुए रोहक ने कहा- "देव ! आप पृथ्वीपति हैं, अतः मैं पृथ्वी लाया हूँ। प्रथम दर्शन में ही इस प्रकार के मांगलिक वचन सुन राजा हर्ष से अतिप्रमुदित हुआ । रोहक के साथ आए हुए ग्रामीणों के रोम भी हर्ष से सिहर भूपति ने रोहक को अपने पास रख लिया और ग्रामवासी सभी अपने-अपने घर लौट
गए।
रात्रि में राजा ने रोहक को अपने निकट सुलाया। रात्रि के दूसरे पहर में राजा ने रोहक को सम्बोधित करते हुए कहा- " अरे रोहक ! जाग रहा है या सो रहा है ?" रोहक ने उत्तर दिया–‘“देव ! जाग रहा हूँ।" राजा ने पूछा - " फिर क्या सोच रहा है?" रोहक ने कहा- “राजन् ! मैं इस बात पर विचार कर रहा हूँ कि “अजा-बकरी के उदर में गोल-गोल मिंगनियां कैसे बनती हैं ?" रोहक की इस आश्चर्यान्वित बात को सुन कर राजा भी विचार में पड़ गया और उसे कोई भी उत्तर नहीं सूझा। उसने रोहक से ही पूछा - " यदि तुम्हें इसका जवाब आता हो, तो तुम ही बतलाओ, ये कैसे बनती हैं?" रोहक ने कहा-"देव ! बकरी के उदर में संवर्त्तक नामक वायु विशेष होता है, उसी के द्वारा ऐसी गोल-गोल मिंगनियां बन कर बाहर गिरती हैं।'' यह कह कर रोहक कुछ ही क्षणों में सो गया।
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१२. पत्र - रात के तीसरे पहर में राजा ने फिर आवाज दी "रोहक । सो रहा है या जाग रहा है ?" रोहक ने मधुर स्वर से कहा - "स्वामिन् । जाग रहा हूँ।" राजा ने कहा- ' 'क्या सोच रहा है?" उत्तर देते हुए रोहक ने कहा- "मैं यह सोच रहा हूँ कि पीपल के पत्ते का डण्ठल बड़ा होता है या शिखा ?" रोहक की इस बात को सुनकर राजा भी संशयशील हुआ। उसने रोहक से पूछा-'" अच्छा तुमने इस विषय में क्या निर्णय किया है?" रोहक ने उत्तर दिया"देव ! जब तक शिखा का भाग सूख नहीं जाता तब तक दोनों तुल्य होते हैं। "
राजा ने अनुभवी व्यक्तियों से पूछा- क्या यह बात ठीक है? उन सबने रोहक का समर्थन किया। रोहक पुनः सो गया।
१३. खाडहिला (गिलहरी) - रात का चौथा पहर चल रहा था। राजा ने पुनः रोहक को सम्बोधित करके कहा- "रोहक । जागता है या सोता है?" रोहक ने कहा- " स्वामिन् ! मैं जाग रहा हूं।'' राजा ने प्रश्न किया - " क्या सोच रहा है जिस कारण तुझे नींद नहीं आ रही है?'' रोहक बोला- मैं यह सोच रहा हूं कि गिलहरी का शरीर जितना बड़ा होता है, उसकी पूंछ क्या उतनी ही बड़ी होती है या न्यूनाधिक ? "
रोहक की बात सुनकर राजा स्वयं सोच में पड़ गया। जब वह किसी निर्णय पर नहीं
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