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पदार्थ - भरहम्मि- यदि क्षेत्र से सकल भरत क्षेत्र देखे तो काल से, अड्ढमासोआधा मास परिमित-भूत, भविष्यत् काल की वार्ता को जानता हुआ देखता है, जम्बूद्दीवम्मि- यदि क्षेत्र से जम्बूद्वीप परिमाण देखता है तो काल से, साहिओ मासो-मास से कुछ अधिक देखता है, च-पुन: यदि क्षेत्र से, मणुयलोए - मनुष्यलोक परिमाण क्षेत्र देखता है तो काल से वासं - एक वर्ष परिमाण भूत और भविष्य की बात को जानता है, च- और, रुयगम्मि- यदि क्षेत्र से रुचक परिमाण देखता है, तो काल से, वासुपुहुत्तं - पृथक्त्व वर्ष परिमाण भूत और भविष्य को जानता है। उ-उकार विशेषणार्थ है ।
भावार्थ - अवधिज्ञानी यदि क्षेत्र से सम्पूर्ण भरत क्षेत्र देखे, तो काल से आधा मास परिमित भूत, भविष्यत् काल की वार्ता को जानता हुआ देखता है । यदि क्षेत्र से जम्बूद्वीप परिमाण देखे तो काल से साधिक मास और यदि क्षेत्र से मनुष्यलोक परिमित क्षेत्र देखे तो काल से एक वर्ष परिमाण भूत व भविष्यत् की वार्ता को जानता हुआ देखे और यदि क्षेत्र से रुचक क्षेत्र परिमाण देखे, तो काल से पृथक्त्व वर्ष - २ से लेकर ९ वर्ष परिमाण भूत और भविष्य को जानता है।
मूलम् - ६. संखिज्जम्मि उ काले, दीवसमुद्दा वि हुंति संखिज्जा । कालम्मि असंखिज्जे, दीवसमुद्दा उ भइयव्वा ॥ ६० ॥
छाया - ६. संख्येयं तु काले, द्वीपसमुद्रा अपि भवन्ति संख्येयाः । कालेऽसंख्येये, द्वीपसमुद्रास्तु भाज्याः ॥ ६० ॥
पदार्थ-यदि काल से, संखिज्जम्मि काले- संख्यात काल को जाने तो, दीवसमुद्दाविद्वीपसमुद्र भी, संखिज्जा-संख्यात ही, हुति - होते हैं। अपि शब्द महत् और एवकारार्थ में जानना, कालम्मि असंखिज्जे- असंख्यात काल को जानने पर, दीवसमुद्दा उ-द्वीपसमुद्र, भइयव्वा - भजनीय - विकल्पनीय होते हैं।
भावार्थ-यदि अवधिज्ञान द्वारा काल से संख्यात काल में हुई बात को जाने तो क्षेत्र भी संख्या द्वीप - समुद्र पर्यन्त जाने और असंख्यात काल जानने पर क्षेत्र से द्वीप और समुद्रों की भजना जाननी चाहिए अर्थात् संख्यात व असंख्यात दोनों होते हैं।
मूलम् - काले चउण्हं वुड्ढी, कालो भइअव्वु खित्तवुड्ढी । वुड्ढी दव्व-पज्जव, भइयव्वा खित्तकाला उ ॥ ६१ ॥ छाया - ७. काले चतुर्णां वृद्धिः कालो भजनीयः वृद्ध्या (द्धौ ) । वृद्ध्या (द्धौ ) द्रव्यपर्याययोः, भाज्या क्षेत्रकालौ तु ॥ ६१ ॥ पदार्थ-काले-काल की वृद्धि होने पर, चउण्हं वुड्ढी - चारों-द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव की वृद्धि होती है, खित्तवुड्ढीए - क्षेत्र की वृद्धि होने पर, कालो-काल की और,
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