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शब्दार्थ-कोषः]
हिन्दीभाषाटीकासहितम् ।
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७७४
६३७
धम्मसाहणं धर्मसाधन के उपकरण
१३६,६६७,६८३, ६८६, १०१६ की
१०२७
१०२६, १०४४, १०४५, १०५६ धम्मसंचय-क्षमादि धर्मों का संचय ६४८ - १०६६, ११०६, ११२१, ११२४ धम्मधर्म को ६०६, ६१०, ६१३, ६३५
११२६ ६४०, ७०३,७३५, ७४२,७४६ नई-नदी को
८२४ ७८, ७८६, ८०६, ८४२, ६३४ | नई-नदी
८६६ ...६३५, १०२०, ११४१ न अणुजाइ अनुसरण नहीं करता ६०० धरंधरने वाला
न अस्थि -नहीं है
६०० धारइत्ता-धारण करके
१०४ न सजइ-नहीं आसक्त होता ११२६ धारेउं धारण करना
८००न आहुन बोले धारेयव्वं-धारण करना । ७६६ न कजंकार्य नहीं है
११३७ धारेयव्वाइंधारण करने चाहिए ७६२ / न करेइ-नहीं करता धारेहन्धारण करो, जो कि
न कोऊहलं नहीं कौतूहल को ६४७ धावंतो-भागता हुआ
८२४
| नक्खत्ताण-नक्षत्रों के ११०६, १११२ धिइमं धृतिमान् ६६८, ७५५
नक्खत्ताणं नक्षत्रों का १११३ धिइमंती-धैर्य वाली . १७७
| नगरिम् नगरी में
१००० धिरत्थु धिक् हो . ६७६, ६८ | नगरमण्डले नगर के समीप में। १००० धीरा-सत्त्व वाले
नगरस-नगर के धीरे-धैर्यवान्
६४३, ७६६
| नगच्छई=नहीं प्राप्त होता धीरो-धीर पुरुष ७४६, ७६६ / न गच्छइ-नहीं जाता
१०४६ धुवे ध्रुव है .
७००,६१६
न गिण्हाइ-ग्रहण नहीं करता ११२२ “धुवंध्रुव
१०६३
नग्गई-नग्गति-निर्गति राजा हुआ ७६१ धुवगोअरे-सदा गोचरी किए हुए अाहार ।
नग्गरुईनग्नरुचि
६११ नश्चा-जानकर का ही आहार करता है ८४८
न जाणे-नहीं जानता धूम-धून
न जीवई-आजीविका नहीं करता धूयरं-अपनी पुत्री
६४८ धूमकेउं-धूम जिसका केतु है
न तायन्ति-रक्षा नहीं कर सकते ६८७
११२७ घेणू धेनु गाय है
नत्थि नहीं है
५६८, ८१०
८३६, ६१२, १०६३ धोरेय-धौरी-वृषभवत् ६२० नत्थिवासो-मेरा बसना अच्छा नहीं ६१४
न दाहामि नहीं दूंगा
११०४
न दीहमाउं=आयु दीर्घ नहीं है. ५८७ न-नहीं . ६०६, ६१०, ६२४, ६२७, ६५४
न धारएन धारण करे ६६३ ६५७, ७८२, ८८४,८८५,८८६ | ननस्सामि-सन्मार्ग से च्युत नहीं होता .. . ८८७, ,१०,८६६,६१० ।
- १०४६
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