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उत्तराध्ययनसूत्रम्
[ शब्दार्थ-कोषः
८३७
७६६
दुहं अशुभ-दुःखरूप
७३४ | दोन्नि वि=दोनों ही दुहाण दुःखों का ८६७ | दो वि=दोनों ही
११३६ दुहावहा-दुःखों के देने वाला है ___७० दोसे-दोषों को
७२१ दुहिएण-दुःख से . ८३६ दोसं-द्वेष को
१४४ दुहसंबद्धा दुःखसम्बन्धिनी ८३६ दुहवेयणा=दुःखरूप वेदनाएँ मैंने
घण-धन
७६६ - अनुभव की
धणमेसमाणे धन की गवेषणा करता दुहओ-दोनों जने
हुआ
५६६ दुहओविदोनों ही प्रकार से ११२
धणं धन ५६६, ६२४, ६२५, ८६३ दुहट्ठिया-दुःख से पीड़ित हुई।
धणेण किंधन से क्या है ६०० दुही दुःखी हुआ . ७८७,७८,६०८
धणेणं-धन से
५६१ दुहओविदोनों प्रकार की उपधि में १०८४
धन-धान्य दूरमोगाडे-नीचे दूर तक अचित १०८८
धम्म-धर्म से जो ७५०, १००६ दूसन्तरंसि-वस्त्र के अन्तर में ६७५, ६७६
धम्म-धर्म ७००, ६६२, १०१६, १०२१ देह देता है ... ८४४, ६२७
धम्मो धर्म ही ६२६, ६०६, १००६, १००७ देवई-देवकी
६५३
.१००८, १०१८, १०२६, १०५४ देव-देवता
१०१५ | धम्मज्भाणं धर्मध्यान १०१५
. ७२४ देवदाणवगन्धव्वा देव, दानव और धम्मतित्थयरे धर्म तीर्थ को करने वाला गन्धर्व ६६६
६६८,१००१ देवलोग=देवलोक से
धम्मधुराहिगारे=धर्म धुरा के उठाने में ६०० देवा-देवता
५८०, ६६६ धम्मसिकखाइ-धर्मशिक्षा से १०४८ देवी-कमलावती
| धम्मयरायणा=धर्म-परायण हुए ६३६ देवो=देव
७७२, ६३० धम्मलद्ध-धर्म से प्राप्त हुआ ६ ९२ देघमणस्स-देवता और मनुष्यों से १७० | धम्माण=धर्मों के ११०५, ११०६, १११२ देवीए देवी के
११३६ देसिओ-उपदेश किया १००७,१०१८, १०२६ धम्माणं-धर्मों का
१११३ देयं देने योग्य हैं
| धम्माणुरत्तो धर्म में अनुरक्त हो गया १२२ देह-शरीर को ७८५, ६४२, १०८५ धम्माओ धर्म से ६६७, ६६६, ६७१, ६७३ दो-दो
१५३, ११३६ ६७६, ६७८,६८०,६८१,६८३, ६८५ दोणि वि-दोनों ही . ६६४ | धम्मधुरं-धर्मधुरा जो दोगुन्दगो-दो गुन्दक ७७२ | धम्माराम-धर्म के आराम में बगीचे में ६९६ दोगुंदगो-दो गुन्दक
६३० | धम्मारामरते-धर्म में रत दोहंपि-दोनों के ही ६५३ धम्मसारही-धर्म का सारथि .. ६६८