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विषय-सूची ]
हिन्दीभाषाटीकासहितम् ।
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ब्रह्मचारी के लिए प्रमाणातिरिक्त और संसार की अनित्यता का ___ आहार का निषेध ६८० उपदेश देना
७२९ ब्रह्मचारी के लिए शरीर-विभूषा का राजा का विरक्त होकर दीक्षित होना ७३५ निषेध
६८२ संजय मुनि का क्षत्रिय ऋषि से ब्रह्मचारी के लिए शब्दादि विषयों । मिलन और परस्पर वार्तालाप, का निषेध
संजय का ऋषि को दृढ़ता के उक्त विषय का गाथाओं में वर्णन ६८६ | लिए उपदेश
७३७ उक्त विषय का एक एक पद में वर्णन ६९४ भरतादि दस चक्रवर्तियों, दशार्णब्रह्मचारी देव दानव गन्धर्व आदि । भद्र राजा तथा प्रत्येक बुद्ध आदि का भी पूज्य है।
६९९ | महाराजों का वर्णन . ७५० ब्रह्मचर्य धर्म नित्य और शाश्वत है। बुद्धिमान पुरुष के लिए शूरता और ब्रह्मचर्य से निर्वाण प्राप्ति ७०० __ दृढ़ पराक्रम द्वारा मोक्ष-प्राप्ति
का प्रतिपादन .
७६६ सतरहवाँ अध्ययन दीक्षा के पश्चात् शिथिल हो जाने
उन्नीसवाँ अध्ययन वाले साधु
७०२ सुग्रीव नगर, वहाँ के राजा बलभद्र पापश्रमण द्वारा श्रुताध्ययन की अना- __ और उसकी रानी मृगावती ___वश्यकता का प्रतिपादन ७०४ तथा युवराज मृगापुत्र का पापश्रमण के लक्षण
७०५ वर्णन पापश्रमण की उभयलोकभ्रष्टता ७१९ मृगापुत्र के सुखों का वर्णन ७७२ दोषरहित श्रमण की उभयलोक- मुनि को देखकर मृगापुत्र को जातिआराधकता.
स्मरण ज्ञान होना और विरक्त अठारहवाँ अध्ययन
होकर मातापिता के प्रति संसार
की अनित्यता का प्रतिपादन संजय राजा का आखेट के लिए | करना
७७३ जाना
७२२ | शरीर की अनित्यता, अशुचिता तथा मृग को बाण से पीड़ित करना और संसार की दुःखरूपता और .. उद्यान में एक ध्यानयुक्त मुनि | विषयों की विषरूपता ७८० का दर्शन करना
७२३ | धर्म के करने और न करने का फल ७८८ राजा का भयभीत होकर मुनि से । मृगापुत्र का दीक्षा के लिए मातापिता क्षमा याचना करना, मुनि का | से आज्ञा मांगना
७९० मौन रहना, राजा का अधिक मातापिता का उत्तर-पांच महावतों भयभीत होना
७२६ | और रात्रिभोजन त्याग की मुनि का राजा को अभयदान देना । दुष्करता
७९२