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________________ - १०५६ ८१८ ६४५ शब्दार्थ-कोषः] हिन्दीभाषाटीकासहितम्। [१७ खु-निश्चय ही ६१८,८७४, ६१६, १८४ | गंधहत्थि-गन्धहस्ती नामा हस्ती ६६० खुरधाराहि-तुर धाराओं से ८२४ गन्धव्वा गन्धर्व १०१५ खुरेहि-तुरों से ८२७ गन्धे-गंधों को खेत्तओ-क्षेत्र से १०७६, १०७७ गमिस्सामो-जायँगे खेत्तंम्क्षेत्र .७५ गमिस्सामुग्रहण करेंगे खेमेण-कुशलता से १२६ गमिस्ससि प्राप्त होगा खेम-क्षेम-व्याधि रहित १०६२, १०६५ गमणं-गमन की ८०४ खेयाणुगए-संयम के अनुगत तथा . ६५८ गया हो गई ८६३ खेलं-मुख का मल १०८५ गयासंभग्गगत्तेहिंगदा से अंगों को खेवियं-क्षमित करवाया तोड़ने पर खेवेजा-क्षय करके . . ६४३ गयाणीए-आजों की अनीका से ७२३ गरहिए-निन्दनीय है ७१६ गरिहंगों की गइप्पहाणं-गति प्रधान -६१ गरहंनाही की ६३६ गई गति को ७४२, ७५४, ७५५, ७५७, ७५८ | गईभालीवार्दभालि ७३६ ७६३, १०५२ गलेहि बडिशों से ८२६ गई गति १०५३, १०५४ गवेसओ गवेषक ११०७ गए प्राप्त हो गया १५० | गवसणाए-गवेषणा में १०८० गओ-प्राप्त हुए ७५५ गवेसिणो गवेषक हुए गगणंफुसे आकाश स्पर्श हो रहा था ६६१ गहणे-अहणेषणा में। १०८० गंगसोउगंगा नदी के स्रोत की ८०३ गहणत्थं ज्ञानादि ग्रहण के लिए-वा गच्छ-जा ८५१ पहचानने के लिए १०२८ गच्छंतो-जाता हुआ ७७, ७८६ | गहाईया ग्रहादिक १११५ गच्छंति प्राप्त होते हैं ६३०, ७४२, १०४६ गहिरो-पकड़ लिया ८२६,८३० गच्छा जाता है ७८८, ७८६, ८४५, ६०६ गाणंगणिए छ:२मास में गच्छ संक्रमण गच्छई-जाता है . ७३४,८४६ करने वाला गणउग्गरायपुत्तागया, उपकुल के गामिणी-जाने वाली है १०५६ पुत्र तथा राजपुत्र ६५१ गामाणुगामं प्रामानुपाम १०००, १००३, गत्त-शरीर का ११०० गंतव्यं जाना है, परलोक में ७५ गारवेसु-तीनों गर्व से गन्तव्वं-जाना है तो फिर ७३० गाहिए-सिखाया गया ७०६ गहभालिस्स-गर्दभाली ७३६ गिज्म-प्रहण करके १०४२ गन्ध-सुगन्धित द्रव्य गिण्हणाअवि-ग्रहण करना भी ७६५ गंधारेसुगन्धार देश में ७६१ गिण्हन्तो-अहण करता हुआ १०८३
SR No.002203
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherJain Shastramala Karyalay
Publication Year
Total Pages644
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size12 MB
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