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शब्दार्थ-कोषः] हिन्दीभाषाटीकासहितम्।
[१७ खु-निश्चय ही ६१८,८७४, ६१६, १८४ | गंधहत्थि-गन्धहस्ती नामा हस्ती ६६० खुरधाराहि-तुर धाराओं से ८२४ गन्धव्वा गन्धर्व
१०१५ खुरेहि-तुरों से
८२७ गन्धे-गंधों को खेत्तओ-क्षेत्र से १०७६, १०७७ गमिस्सामो-जायँगे खेत्तंम्क्षेत्र
.७५ गमिस्सामुग्रहण करेंगे खेमेण-कुशलता से
१२६ गमिस्ससि प्राप्त होगा खेम-क्षेम-व्याधि रहित १०६२, १०६५ गमणं-गमन की
८०४ खेयाणुगए-संयम के अनुगत तथा . ६५८ गया हो गई
८६३ खेलं-मुख का मल
१०८५ गयासंभग्गगत्तेहिंगदा से अंगों को खेवियं-क्षमित करवाया
तोड़ने पर खेवेजा-क्षय करके . . ६४३ गयाणीए-आजों की अनीका से ७२३
गरहिए-निन्दनीय है
७१६
गरिहंगों की गइप्पहाणं-गति प्रधान -६१ गरहंनाही की
६३६ गई गति को ७४२, ७५४, ७५५, ७५७, ७५८ | गईभालीवार्दभालि
७३६ ७६३, १०५२ गलेहि बडिशों से
८२६ गई गति १०५३, १०५४ गवेसओ गवेषक
११०७ गए प्राप्त हो गया १५० | गवसणाए-गवेषणा में
१०८० गओ-प्राप्त हुए
७५५ गवेसिणो गवेषक हुए गगणंफुसे आकाश स्पर्श हो रहा था ६६१ गहणे-अहणेषणा में। १०८० गंगसोउगंगा नदी के स्रोत की ८०३ गहणत्थं ज्ञानादि ग्रहण के लिए-वा गच्छ-जा
८५१ पहचानने के लिए १०२८ गच्छंतो-जाता हुआ ७७, ७८६ | गहाईया ग्रहादिक
१११५ गच्छंति प्राप्त होते हैं ६३०, ७४२, १०४६ गहिरो-पकड़ लिया ८२६,८३० गच्छा जाता है ७८८, ७८६, ८४५, ६०६ गाणंगणिए छ:२मास में गच्छ संक्रमण गच्छई-जाता है . ७३४,८४६ करने वाला गणउग्गरायपुत्तागया, उपकुल के गामिणी-जाने वाली है १०५६
पुत्र तथा राजपुत्र ६५१ गामाणुगामं प्रामानुपाम १०००, १००३, गत्त-शरीर का
११०० गंतव्यं जाना है, परलोक में ७५ गारवेसु-तीनों गर्व से गन्तव्वं-जाना है तो फिर ७३० गाहिए-सिखाया गया
७०६ गहभालिस्स-गर्दभाली ७३६ गिज्म-प्रहण करके
१०४२ गन्ध-सुगन्धित द्रव्य
गिण्हणाअवि-ग्रहण करना भी ७६५ गंधारेसुगन्धार देश में ७६१ गिण्हन्तो-अहण करता हुआ १०८३