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उत्तराध्ययनसूत्रम्-
[शब्दार्थ-कोषः
६१३
केवली-केवल ज्ञानयुक्त पुनः ६६४ | कं-कौन-सा
१०५२ केवलं सम्पूर्ण . केरिसी-कैसी है
१००६ खणंपि-क्षणमात्र भी ७८३,८६० केरिसो-कैसा है .
१००६ खणमित्त-क्षत्रमात्र केसलोओ केशलुंचन भी ८००
खण्डाई-खंड
८३३. केसरे केसर नाम वाले में ७२४ खत्तिओ-क्षत्रिय-उसको ७३७, ११३१ केसरम्मि केसर
७२४ वत्तिय-क्षत्रिय केसे केशों को ६७२, ६७७ खंतिक्खमे-शांतिक्षम
६३६ केसि केशी के १०१६, १०१७, १०२०, खन्ती-क्षमा है
८६६ ___१०२७,१०३२, १०३६, १०४०,१०४३ खन्तीए-क्षमा से केसी केशीकुमार १०१६, १०१७, १०३२, | खन्तो=क्षमावान् ८६१,८६४
१०३६, १०४०, १०४३, १०५४,१०६७ खमयोग्य है केसीकुमार केशीकुमार ६६८, १००४ स्त्रमा क्षमा समर्थ केसीकुमार समणे-केशीकुमार श्रमण । खमे-क्षमा करो
७२७ ०११, २०१३ खयं-क्षय केसीगोयमओ-केशी और गौतम का १०६६ खलु-निश्चय ही ६६३, ६६४, ६६४, ६६७, केसिंगोयमा=केशी और गौतम १००६ ६६६,६७१,६७२, ६७३, ६७३, ६७५, केसिगोयमे-केशी और गौतम १०७० ६७६, ६७८, ६८०,६८१, ६८३, ६८५ केसवा केशव
६५३ खवित्ता-क्षय करके ६६४, ११४२ केसवो=केशव | खधेऊण-क्षय करके
६५० को-कौन ५६३, ८४१, ८४३, ८४४, १०५६, खाइम-खादिम ६५३, ६५४ कोउगासिया कुतूहल के आश्रित खाइत्ता-खाकर
कौतूहली लोग १०१४ | खाए-ख्यात प्रसिद्ध कोऊहल-कौतुक में
खाणी खान हैं कोहगं-कोष्टक
१००४ | | खाणु-स्थाणु-ठोंठ कहते हैं कोत्थलो-वन का कोथला-थैला ८०७ खामेमि-क्षमा याचना करता हूँ १२० कोलसुणएहि-कोल, शूकर और स्वाविओमि-मुझे खिलाया ८३३
श्वानों के द्वारा जो ८२० स्त्रिप्पं शीघ्र ६६१, ७२६, १०१२, ११३७ कोषए-कोविद-विशेष पंडित था १२६ | खिसएजा-आहार के मिलने पर कोवियप्पा-कोविदात्मा ७७८ निन्दा करे कोसम्बी-कौशाम्बी ८८० | खिसई-निन्दा करता है कोहा-क्रोध से
११२१ स्वीरे-दुग्ध में कोहे-क्रोध में
१०७६ | खणिसंसारो क्षीण हो गया है संसार । कोह-क्रोध और ६६३ जिसका
.. १०६१
५६५
७०६
६०१