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________________ उत्तराध्ययनसूत्रम् विषय-सूची चौदहवाँ अध्ययन विचार करता हुआ ही प्राणी मृत्यु के मुख में चला जाता है ५९६ भृगुपुरोहित की कथा . ५७७ | भूगुपुरोहित का कुमारों को धन और भृगुपुरोहित के दो पुत्रों का जन्म ___ कामभोगादि का प्रलोभन देना ५९८ और इषुकार राजा तथा उसकी भृगुपुरोहित के प्रति कुमारों का रानी कमलावती का वर्णन ५८३ उत्तर-धन शय्याओं और मुनियों को देखकर भृगु पुरोहित कामगुणों का धर्म से कोई के दोनों कुमारों को जातिस्मरण सम्बन्ध नहीं ६०० की उत्पत्ति और उनका माता- | भृगुपुरोहित द्वारा अनात्मवाद का पिता से दीक्षा के लिए आज्ञा स्थापन ६०२ मांगना कुमारों द्वारा आत्मवाद की सिद्धि ६०२ भृगु का उत्तर-वेदों के पढ़ने, कुमारों का धर्मग्रहण करने के लिए गृहस्थाश्रम में रहकर पुत्रोत्पत्ति । दृढ़ आग्रह ६०५ करने तदनन्तर वानप्रस्थी होने लोक (संसार) पीड़ित हो रहा है, का उपदेश ५८८ इत्यादि विषयक प्रश्नोत्तर ६०६ अधीतमात्र वेदादि शास्त्र तथा पुत्रों बीता हुआ समय फिर नहीं आता। के रक्षक न होने का प्रतिपादन। धर्म न करने से समय की कामभोगों के दुष्परिणाम ५९२ निष्फलता तथा करने से सफधन-लालसासे देशदेशान्तर में भ्रमण लता है। ६०९ करता हुआ तथा यह वस्तु मेरे कुमारों का कथन-मृत्यु से मित्रता, पास है और यह नहीं, यह । उससे पलायन तथा शाश्वत
SR No.002203
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherJain Shastramala Karyalay
Publication Year
Total Pages644
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size12 MB
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