SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 248
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एकोनविंशाध्ययनम् ] हिन्दीभाषाटीका सहितम् । [ ८१५ समीपतरवर्ति चैतदो रूपम् । अदसस्तु विप्रकृष्टं तदिति परोक्षे विजानीयात् ॥' अर्थात् 'इदम् ' शब्द का प्रत्यक्षगत वस्तुविषय में ही प्रयोग किया जाता है। तथा यहाँ पर वेदना शब्द का केवल शीत के साथ सम्बन्ध है । अब उक्त विषय के सम्बन्ध में नरक की अन्य यातनाओं का वर्णन करते हैं । यथा— । कंदन्तो॒ कंदुकुंभीसु, उडूपाओ अहोसिरो । हुयासणे जलन्तंमि, पक्कपुव्वो अनंतसो ॥५०॥ कन्दुकुंभीषु, ऊर्ध्वपादोऽधः शिराः ज्वलति, पक्कपूर्वोऽनन्तशः 1 ॥५०॥ पदार्थान्वयः — कंदन्तो—– आक्रन्दन करते हुए कंदुकुंभीसु-कंदुकुम्भी में उड्डपाओ - ऊँचे पाँव और अहोसिरो - नीचे सिर जलन्तंमि - जलती हुई हुआसणेअम में पक्कgoat - पूर्व मुझे पकाया अनंतसो - अनन्त वार । क्रन्दन् हुताशने मूलार्थ - हे पितरो ! आक्रन्दन करते हुए, कन्दुकुम्भी में ऊँचे पैर और नीचे सिर करके प्रज्वलित हुई अग्नि में मुझे अनन्त वार पकाया गया । टीका - मृगापुत्र पूर्वजन्मों में भोगी हुई नरक यातनाओं का वर्णन करते हुए कहते हैं कि आक्रन्दन करते हुए — उच्च स्वर से रुदन करते हुए — मुझको कन्दुकुम्भी नामक पकाने के भाजन में नीचे सिर और ऊपर पाँव डालकर प्रज्वलित की हुई अग्नि द्वारा अनन्त वार पकाया गया । अर्थात् दैवमाया से उत्पन्न की हुई प्रचण्ड अग्नि के द्वारा कुम्भी में डालकर उन यमदूतों ने मुझे अनन्त वार पकाया । कारण कि नरकगति के जीव को वे यमदूत अधिक से अधिक पीड़ा पहुँचाने से ही प्रसन्न होते हैं । तात्पर्य यह है कि जिस प्राणी ने अपने पूर्वजन्म में जिस प्रकार के पापकर्मों का बन्ध किया है, उसी के अनुसार उसको फल देने के लिए उनके —यम पुरुषों के—भाव उत्पन्न हो जाते हैं। इसी लिए मैं नरकों की प्रचण्ड अग्नि में अनेक बार पकाया और तपाया गया । 'कंदुकुम्भी' नरक के एक अशुभ भाजन का नाम है, जो कि देवों द्वारा वैक्रियलब्धि से निर्मित होता है। तथा गाथा में पढ़े
SR No.002203
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Shiv Muni
PublisherJain Shastramala Karyalay
Publication Year
Total Pages644
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy