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प्रकाशकीय
प्रस्तुत आगम श्री उत्तराध्ययन सूत्र विद्वद्वरेण्य जैन धर्म दिवाकर, जैनागम रलाकर आचार्य सम्राट श्री आत्माराम जी महाराज द्वारा व्याख्यायित और टीकाकृत है। विगत पन्द्रह सौ । .. वर्षों में श्री उत्तराध्ययन सत्र पर निर्यक्ति. भाष्य और चर्णि के अतिरिक्त अनेक मनीषी मुनीश्वरों और आचार्यों द्वारा वृत्तियां भी प्रचुर मात्रा में लिखी गई हैं। गत शती में पण्डित रल आचार्य श्री अमोलक ऋषि जी महाराज, जैनागमों के प्रकाण्ड पण्डित पुरुष श्री घासीलाल जी म० प्रभृति अनेक मनीषी मुनीश्वरों ने प्रस्तुत आगम पर संक्षिप्त और बृहद् दोनों ही प्रकार की टीकाएं लिखकर मुमुक्षु अध्येताओं पर महांन उपकार किया है। इसी श्रृंखला में पूज्यवर्य आचार्य सम्राट श्री आत्माराम जी महाराज द्वारा व्याख्यायित उत्तराध्ययन-सूत्र अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है। कारण स्पष्ट है कि आचार्य श्री ने उत्तराध्ययन-सूत्र के गुरु-गम्भीर रहस्यों का ऐसा सरलीकरण किया है कि सामान्य पाठक वर्ग भी उसे सरलता से हृदयंगम कर सकता है। इसी दृष्टि से आचार्य श्री के व्याख्यायित आगम जैन धर्म की चारों ही परम्पराओं में विशेष रुचि और उत्साह से पढ़े और पढ़ाए जाते हैं।
आचार्य श्री निःसंदेह ज्ञान के अक्षय सागर थे। उन्होंने अपने जीवन काल में जितना , लिखा परिमाण की दृष्टि से उसे देखकर बुद्धि हैरत में पड़ जाती है। पर यह भी सत्य है कि आचार्य श्री ने जो भी लिखा उनकै लेखन का शब्द-शब्द अर्थपूर्ण और अपने विषय की पुष्टि । करता है। उनके लेखन में एक भी शब्द अनावश्यक नहीं है।
. आचार्य श्री के साहित्य की मुमुक्षुओं में इतनी अधिक मांग है कि प्रत्येक संस्करण शीघ्र ही । अप्राप्त हो जाता है। वर्तमान में श्री उत्तराध्ययन सूत्र भी अप्राप्त प्रायः अवस्था में है। इसी बात को दृष्टिपथ पर रखते हुए चतुर्थ पट्टधर आचार्य सम्राट् श्री शिवमुनि जी महाराज की । मंगलमयी प्रेरणा से “आत्म-ज्ञान-श्रमण-शिव आगम प्रकाशन समिति" का गठन किया गया है। समिति आचार्य श्री के भावों को अपने संकल्प में ढालकर पूज्य आचार्य सम्राट् श्री आत्माराम जी महाराज की समस्त श्रुत साधना को त्वरित गति से प्रकाशित करने के पथ पर अग्रसर है।
प्रस्तुत आगम सुविख्यात जैन श्रावक भक्त श्री त्रिलोक चन्द जी जैन की पुण्य स्मृति में उनके परिवार के अर्थ सौजन्य से आकार पा रहा है। इसके लिए आगम प्रकाशन समिति इस परिवार का हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित करती है।
शिवाचार्य के निर्देश हमारे संकल्प का प्राण हैं। पूर्ण उत्साह से आगे बढ़ते हुए हम अपनी मंजिल प्राप्त कर लेंगे ऐसा हमारा सुदृढ़ विश्वास है।
आत्म-ज्ञान-श्रमण-शिव आगम प्रकाशन समिति, लुधियाना
भगवान महावीर रिसर्च एण्ड मेडिटेशन सेंटर, दिल्ली