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प्ररोचना]
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उत्तरदायित्व मेरा है। मुझे प्रसन्नता है कि इस लेखन के कारण मुझे युग के वरिष्ठ चिंतक आचार्य महाप्रज्ञ के साहित्य को विस्तार से पढ़ने का अवसर मिला। लेखन करते समय नए वैज्ञानिक तथ्यों का समावेश भी यत्र-तत्र किया गया है। यहाँ यह विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं कि आचार्य महाप्रज्ञ के संस्कृत साहित्य पर एक राष्ट्रीय सेमीनार हुआ है तथा डॉ. हरिशंकर पाण्डेय के निर्देशन में शोध कार्य भी प्रकाशित हुआ है। प्रतिनिधि साहित्य का चयन
आचार्य महाप्रज्ञ के साहित्य में जैन दर्शन के साथ विज्ञान और मनोविज्ञान के तथ्य उपलब्ध हैं। प्रस्तुत पुस्तक में विभिन्न विषयों के प्रतिनिधि साहित्य का चयन करते हुए छह खण्ड बनाए गये हैं तथा इसके पूर्व 'जैन विद्या और विज्ञान पर सामान्य परिचयात्मक एक अध्याय प्रेषित किया गया है। उन खण्डों के नाम निम्न प्रकार हैं -
1. नया चिन्तन 2. द्रव्य मीमांसा और दर्शन 3. आगम और विज्ञान 4. जैन गणित तथा कर्मवाद 5. प्रेक्षा ध्यान और रोग निदान (थैरेपी) 6. आध्यात्मिक-वैज्ञानिक व्यक्तित्व 1. पहले खण्ड में समस्त साहित्य के प्रतिफलन में जो नवीन धारणाएं
प्रस्फुटित हुई हैं उन्हे संकलित किया गया है। उसका शीर्षक 'नया
चिन्तन' दिया गया है। 2. दार्शनिक साहित्य में आचार्य महाप्रज्ञ की पहली और प्रसिद्ध पुस्तक
"जैन दर्शन मनन और मीमांसा' में वर्णित छह द्रव्यों का वैज्ञानिक विश्लेषण किया गया है तथा अनेकान्त के वैज्ञानिक पक्ष को प्रस्तुत किया गया है। इस द्वितीय खण्ड का नाम "द्रव्य मीमांसा और
दर्शन" दिया गया है। 3. तृतीय खण्ड में जैन आगम साहित्य के प्रतिनिधि आगम आचारांग,
स्थानांग और भगवती के उन प्रकरणों पर चर्चा की है जहाँ आचार्य महाप्रज्ञ ने जैन दर्शन के तत्वों को विज्ञान एवं गणित संगत बनाया है। इसका शीर्षक 'आगम और विज्ञान दिया गया है।