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________________ 320] [जैन विद्या और विज्ञान वार्ताएं 13 अगस्त, 2002 को अहमदाबाद में हुई वार्ता के अंश सन् 1999 में राष्ट्रपति श्री अब्दुल कलाम एक वैज्ञानिक के रूप में आचार्य श्री महाप्रज्ञ के दर्शन करने आए थे। उस समय डॉ. कलाम ने विज्ञान और जैन दर्शन के संदर्भ में लगभग पैंतालीस मिनट तक वार्तालाप किया। जैनदर्शन की वैज्ञानिकता ने श्री कलाम को बहुत प्रभावित किया। उस समय जो सहजता, सादगी, विनम्रता और ग्रहणशीलता परिलक्षित हुई, देश के सर्वोच्च पद पर प्रतिष्ठित होने के बाद भी उसमें कोई परिवर्तन परिलक्षित नहीं हुआ। प्रस्तुत हैं डॉ. कलाम और महाप्रज्ञ के वार्तालाप के महत्त्वपूर्ण अंश - डॉ. कलाम – स्वामीजी! देश में जो समस्याएं हैं, उन्हें दूर करने का कार्य मुझे करना है। उसके लिए मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए। आपके आशीर्वाद से मैं उन समस्याओं का समाधान कर पाऊंगा, ऐसा मेरा विश्वास है। महाप्रज्ञ - आपने राष्ट्रपति पद की शपथ लेने से पहले जो वक्तव्य दिया, उसके अनुरूप देश को बनाने का संकल्प करना है। डॉ. कलाम - हां, हां! महाप्रज्ञ - आज देश के सामने तीन प्रमुख समस्याएं हैं - 1. गरीबी 2. आतंकवाद 3. जातिवाद और साम्प्रदायिक कट्टरता। जब तक ये समस्याएं रहेंगी शांति और विकास का पथ प्रशस्त नहीं होगा। इन समस्याओं का समाधान प्रक्षेपास्त्रों अथवा लौह के शस्त्रों से नहीं, मधुर-शस्त्र से होगा। डॉ. कलाम - मधुर शस्त्र---- | महाप्रज्ञ - महाभारत का प्रसंग है। एक बार श्रीकृष्ण बहुत निराश हो गए। गणतंत्र की समस्याएं जटिल हो गई। लोगों में असंतोष पनपने लगा।
SR No.002201
Book TitleJain Vidya aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahaveer Raj Gelada
PublisherJain Vishva Bharati Samsthan
Publication Year2005
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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