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________________ प्रेक्षाध्यान और रोग निदान ] सर्वप्रथम तनाव से मुक्ति देता है। तनाव का सीधा संबंध आमाशय में अम्ल के स्राव से है। यदि तनाव कम होगा तो हाईपर एसीडिटी नहीं रहेगी। उसके बाद उदर प्रेक्षा का प्रयोग भी इन रोगों को रोकने में सहायता करता है। इस क्रिया से संभवतः डायाफ्राम की ऐच्छिक गति से वेगस नाड़ी को नियंत्रित किया जा सकता है। प्रेक्षा से पेरासिम्पेथिटिक सिस्टम को शांत करने से आमाशय में न केवल अम्ल बल्कि गेस्ट्रिन का स्राव कम होता है और अल्सर व गैस दोनों परेशानियां कम होती हैं। इसके अलावा पाचक द्रव्यों का स्राव बढ़ने से भोजन का पाचन अच्छी तरह से होगा। इसके अतिरिक्त वेगस नाड़ी को उपशांत करने से आमाशय व आंतों की गति नियंत्रित होती है। भोजन को पाचन के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है। यदि पाचन क्रिया सही होगी तो गैस, अपच व अल्सर होने की संभावना कम रहेगी तथा पाचन क्रिया पूर्ण होने पर रसायनो का मिश्रण खून में बराबर होने से शरीर स्वस्थ रहेगा । आई.बी.एस. [ 297 आई.बी.एस. (Irritable Bowel Syndrome) प्रायः यह बीमारी तनाव के कारण होती है। अनुमान है कि 20 प्रतिशत लोग इससे ग्रसित हैं। यह जीवन भर का रोग है और इसका जीवन पद्धति, खान-पान से गहरा संबंध होता है। संतुलित, व्यवस्थित, तनाव रहित जीवन अपनाकर इसका मरीज रोग के लक्षणों से राहत पा सकता है। मानसिक तनाव, दुःख, परेशानी के कारण आंतों की चाल बदल सकती है जिसके अलग-अलग लक्षण हो सकते हैं। यदि चाल तेज है तो दस्त और कम होने पर कब्ज हो सकती है। चिकित्सा विज्ञान के अनुसार विशेष भोज्य पदार्थों से भी पेट में प्रतिक्रिया होकर यह बीमारी हो सकती है। इस रोग पर काबू पाने के लिए सात्त्विक भोजन व तनाव मुक्त जीवन आवश्यक है। आज के व्यस्त जीवन में खान-पान को सही रखना बहुत आवश्यक है । साधारण भोजन हितकारी भोजन है। जीवन के मूल आधार आचार्य महाप्रज्ञ कहते हैं कि जीने के मूल आधार है- पहला श्वास, दूसरा आहार । आदमी खाता है तो जीता है। खाना बंद कर दे तो वह जी नहीं पाएगा। दो मूलभूत आवश्यकताएं हैं श्वास लेना और खाना । स्थिति यह है कि आदमी श्वास लेना अच्छी तरह नहीं जानता और खाने के बारे में भी पूरी जानकारी नहीं है। श्वास अपने आप आता है और खाए बिना मनुष्य ' का काम नहीं चलता। लेकिन इसे सही कैसे किया जाए? जीवन के लिए
SR No.002201
Book TitleJain Vidya aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahaveer Raj Gelada
PublisherJain Vishva Bharati Samsthan
Publication Year2005
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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