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[ जैन विद्या और विज्ञान' ।
अपेक्षा न्यूनाधिक का ज्ञान अल्प बहुत्व कहलाता है। अल्प बहुत्व (Comparability) समीकरणों के परिणाम, गणितीय विद्या से. प्राप्त होते हैं।
__ डॉ. जैन के अनुसार जब अर्थ संदृष्टिमय रूप लेगी तब बीजगणित (Algebra) का प्रवेश हो जाएगा और भी गहराई में जाने हेतु आधुनिक रूप में विकसित मेट्रिक्स यांत्रिकी, नवीन बीजगणित, स्थलविज्ञान (Topology) तथा अन्य विश्लेषक फलनों का उपयोग करना होगा। कारण यह कि समयप्रबद्ध में विभिन्न प्रकृतिमय कर्म परमाणु की प्रवेश संख्या, उनकी स्थिति तथा अनुभाग अंश न केवल योग, कषायादी के अनुसार परिणमित होते हैं, किंतु इनकी मन्दता होने पर विशुद्धि के अनुसार भी परिणमित होने लगते हैं और ये घटनाएं सूक्ष्म जगत में होने के कारण, साथ ही समूह रूप में होने के कारण, सहज होते हुए भी कुटुम्ब विश्लेषण के विषय बन जाती है।
कर्म के गणितीय अध्ययन से भूत-भविष्य का फलाफल ज्ञात हो सकेगा। जीन्स के द्वारा रोगों का पता लग जाता है, उसी प्रकार यह गहरी संभावना है कि कर्म का गणितीय अध्ययन उपयोगी होगा। लेकिन इस अध्ययन को भी विकसित होना है जिसमें गणितज्ञ ही योगदान कर सकेंगे।
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