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________________ आगम और विज्ञान] [ 169 कृष्णराजि, तमस्काय तथा ब्लैक होल आकाश में रात्रि के समय आकाश गंगा को हमने कई बार निहारा हैं। आकाश गंगा तारों का झुरमुट है। अनेक तारे समूह में होने से इनकी चमकदमक साधारण व्यक्ति को आकर्षित करती हैं। ये तारे गति करते हैं, स्थिर नहीं है। इनकी गति बहुत धीमी प्रतीत होती हैं क्योंकि ये बहुत दूर है। दूरी के कारण इनका आकार भी छोटा प्रतीत होता है यद्यपि कई तारे सूर्य के आकार से बहुत बड़े हैं। इन आकाश गंगा के सघन प्रकाश के नीचे गहरे काले गढ़े हो सकते है, ऐसा अनुमान संभव नहीं था। जर्मनी में म्यूनिरव के निकट मैक्सप्लांक इंन्स्टीट्यूट, गारचिंग में अनुसंधानों से ज्ञात हुआ कि आकाश-गंगा के नीचे सघन धूल के बादल है और इस धूल में कई गढ़े हैं जो बहुत गहरे हैं। अमेरिका के वैज्ञानिक जॉन व्हीलर ने 1969 में इन गढ़ों को ब्लैक होल का नाम दिया यद्यपि ब्लैक होल का इतिहास दो सौ वर्ष पुराना रहा है। पिछले 30-40 वर्षो में ब्लैक होल के संबंध में जो जानकारी मिली है वह नई है लेकिन अधूरी है। तमस्काय क्या है ? जैन आगम भगवती सूत्र तमस्काय और कृष्णराजि का वर्णन आया है। इसके अनुसार हमारी पृथ्वी के समान ही आकाश में सुदूर छोर पर कृष्ण वर्ण के पृथ्वी के शिलाखण्ड हैं जिन्हें कृष्ण-राजि कहा है। इनकी गहरी काली छाया चारों और विस्तृत होती है। इन शिलाखण्डों की काली धूल में पृथ्वी के एक विशेष समुद्र का सूक्ष्म जल शिखा के रूप में आकर्षित होता है । यह जल शिखा भयंकर रूप से काली प्रतीत होती है। इस जल - शिखा को तमस्काय कहा है। ठाणं आगम में निम्न प्रकार का उल्लेख है । "अरुणवरद्वीप जम्बूदीप से अंसख्यातवां द्वीप है । उसकी बाहरी वेदिका के अन्त में अरुणवर संमुद्र 42 हजार योजन जाने पर एक प्रदेश (तुल्य अवगाहन) वाली श्रेणी रहती है और वह 1721 योजन ऊँची जाने के पश्चात् विस्तृत होती हैं । यह सौधर्म आदि चारो देवलोकों को घेरकर पांचवें देवलोक के रिष्ट नामक प्रस्तर तक चली गई है। यह जलीय पदार्थ है। उसके पुद्गल अंधकारमय हैं इसलिए इसे तमस्काय कहा जाता है। लोक में इसके समान कोई दूसरा अंधकार नहीं है। देवों का प्रकाश भी इस क्षेत्र में हतप्रभ हो जाता
SR No.002201
Book TitleJain Vidya aur Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahaveer Raj Gelada
PublisherJain Vishva Bharati Samsthan
Publication Year2005
Total Pages372
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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