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आम और विज्ञान ]
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में प्रवेश करती है तो वह सीधी रेखा में गमन नहीं करती। वह वक्र हो जाती है। भौतिक विज्ञान का यह सामान्य सिद्धान्त है कि प्रकाश की किरण किसी भी समांगी माध्यम से सीधी रेखा के मार्ग से गुजरती है; लेकिन एक समांगी माध्यम से दूसरे समांगी माध्यम में गुजरते समय वह अपने मार्ग से विचलित हो जाती है। अधिक घनत्व के माध्यम से कम घनत्व के माध्यम में जाने से गति बढ़ती है और कम घनत्व से अधिक घनत्व वाले माध्यम में जाने से गति में कमी आती है।
इसी प्रकार जब एक लोक से दूसरे लोक में वस्तु या प्राणी आते हैं अर्थात् क्षेत्र परिवर्तन करते हैं जिनके घनत्व में भिन्नता है तो गति परिवर्तन का होना वैज्ञानिक प्रतीत होता है । अब हम पूर्व में गतियों के संबंध में दी गई सारणी का अवलोकन करेंगे। वहां हम पाते हैं कि बढ़ते हुए घनत्व के कारण ऊर्ध्व लोक से तिर्यक् लोक में और तिर्यक् लोक से अधो लोक में शक्र की, वज्र की गतियां कम हो जाती हैं। इससे घटना स्पष्ट हो जाती है कि जब वज्र या इन्द्र ने ऊर्ध्व लोक से तिर्यक् लोक में प्रवेश किया होगा जो गति परिवर्तन का कारण बना है ।
गुरुत्वाकर्षण
(ii) दूसरा कारण यह माना जा सकता है कि गुरुत्वाकर्षण के कारण एक ही स्थान पर एक प्रकार का द्रव्य त्वरित (accelerate) हुआ है और दूसरे प्रकार का मंद (decelerate) हुआ है। भौतिक विज्ञान आज मानने लगा है कि गुरुत्वाकर्षण के द्वारा आकर्षण और विकर्षण दोनों होता है। जो निहारिकाएं आकाश में समय के साथ दूर-दूर होती जा रही हैं वह गुरुत्वाकर्षण के विकर्षण गुण के कारण हो रही हैं। विज्ञान जगत में माना गया है कि काल ज्यों-ज्यों बढ़ता जा रहा है, आकाश भी विस्तार ले रहा है । विस्तार लेते हुए आकाश में निहारिकाएं दूर हो रही हैं इसका कारण गुरुत्वाकर्षण का विकर्षण गुण माना गया है। यही संभावना उपर्युक्त घटना में गति - विज्ञान में प्रदर्शित हुई प्रतीत होती है कि ऊर्ध्व लोक से तिर्यक् लोक में शक्र और वज्र की गति धीमी इसलिए हुई है कि दूसरे लोक की वस्तु के लिए गुरुत्वाकर्षण का विकर्षण गुण-धर्म प्रभावी हुआ है।
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