________________
आगम और विज्ञान]
[ 151
ये गति के माप योजन के अंशों में हैं जिन्हें गव्यूत कहा गया है।
यहां हम केवल तिर्यक् लोक की गतियों की परस्पर में तुलना करेंगे क्योंकि घटना का संबंध तिर्यक् लोक से है। सारणी से विदित होता है कि
1. तिर्यक् लोक में शक्र की गति (18), वज (10) और चमर (16)
गव्यूत है, अर्थात् शक्र की गति सर्वाधिक है। अतः घटना के
दौरान शक्र को वज्र पकड़ने में कोई कठिनाई नहीं आई। 2. वज्र (10), से चमर (16) की गति तेज होने के कारण, वज, चमर
पर प्रहार नहीं कर सका। आगमिक दृष्टि से इस घटना में गति सम्बन्धी प्रकरण स्पष्ट हो जाता
गति परिवर्तन
इस गति प्रकरण में गवेषणा योग्य तथ्य यह है कि सारिणी में गतिपरिवर्तन दो कारणों से हो रही है।
(i) क्षेत्र परिवर्तन से
(ii) वस्तु परिवर्तन से :: इसका क्या कारण होना चाहिए ?
इस संबंध में हम घटना का विश्लेषण निम्न प्रकार से करेंगे। इस घटना
___ (i) पात्र - तीन । शक्र, वज्र और चमर हैं।
(ii) क्षेत्र - तीन। ऊर्ध्व लोक, तिर्यक् लोक, अधो लोक हैं। (iii) गति - तीन। ऊर्ध्व गति, तिर्यक् गति, अधो गति। ये लोक
आधारित है। (iv) तथ्य – तीनों पात्रों की गति, तीनों लोक में भिन्न-भिन्न हैं। एक
जैसी नहीं हैं। आगम मीमांसा करते हुए आचार्य महाप्रज्ञ लिखते हैं कि गति के तीन प्रकार हैं।
(i) ऊर्ध्व गति
(ii) अधो गति ... (iii) तिर्यक् गति