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संग्रहणीसूत्र. अहाशी ग्रहनो परिवार बे, तेहने चार गुणा करीए तो (३५२ ) ग्रह थाय, एमज अहाविश नत्रने चार गुणा करीए तेवारे एकशोने बार नक्षत्र थाय. तेमज तारानी कोडाकोडी जेटली पूर्वे कही, तेहने चारगुणा करीए, तेवारे बे लाख कोडाकोमी समसठ हजार कोडाकोडी नवसे कोडा कोमी एटली तारानी संख्या होय. ए रीते सर्व छीपसमुज्ने विषे उपाय करतां जवं, तो ग्रह नक्षत्र अने तारानी संख्या श्रावे. ए रीते सर्व ज्योतिषीनी वक्तव्यता विस्तारपणे कही. ॥ ६॥
॥हवे वैमानिकनी वात कहे. तेमां प्रथम एनां विमान कहेले.॥ बत्तीस हावीसा ॥ बारस अड चन विमाण लकाई॥ पन्नास चत्त ब सदस्स ॥ कमेण सोहम्ममाईसु ॥ ७ ॥ उसुसय चनसुसय तिग ॥ मिगारसदियं सयं तिगेदिहा ॥ मो
सत्तुत्तर सय ॥ मुवरि तिगे सय मुवरि पंच ॥ ७ ॥ अर्थ- सौधर्मे बत्रीश लाख, ईशाने अहावीश लाख, सनत्कुमारे बार लाख, मा. हेडे आठ लाख, ब्रह्मदेवलोके चार लाख विमाण के विमान जाणवां. लरका के लाखनी संख्याए. लांतके पचाश हजार विमान, शुक्र देवलोके चत्त के० चालीश हजार, सहस्रारे ब हजार, सहस्स के हजारनी संख्याए. कमेण के० ए अनुक्रमे सोहम्माश्सु के सौधर्मादि देवलोकनेविषे विमाननी संख्या जाणवी. ॥ ॥ श्राणत तथा प्राणत ए उसु के बे देवलोकनेविषे सयचड के चारसे विमान, अने श्रारण तथा अच्चुत ए मुसु के बे देवलोके मली सयतिगं के त्रणसो विमान जाणवां. हेग्ला त्रण ग्रैवेयके गारसहियं के एकसो अगीयार विमान. मने के० वचला त्रण ग्रैवेयके सत्तुत्तरसयं के एकसो सात विमान, उवरितिगे के उपरना ए त्रण ग्रैवेयके सय के सो विमान बे. ने उवरि के उपरे पांच अनुत्तरविमाने पंच के पांच विमान बे. ॥ ७ ॥ ॥ पूर्वोक्त विमानोनी एकंदर संख्या तथा विमानादिकनुं स्वरूप कहे .॥
चुलसी लरक सत्ताणवश ॥ सहस्सा विमाण तेवीसं ॥
सबग्ग मुढ लोगंमि ॥ इंदया बिसहि पयरेसु ॥ नए ॥ अर्थ-चुलसी लरक के० चोराशीलाख सत्ताणव सहस्सा के० सत्ताणुहजार श्रने तेवीसं के त्रेवीश उपरे, एटला सबग्गं के० सर्वाग्र संख्याए जे. अने उढलोगंमि के० जर्वलोके जे बासठ प्रतर , तेहना मध्य नागनेविषे बासठे प्रतरे एकेकुं इंजक विमान बे. तेवारे बासठ प्रतरे बासठ इंधक विमान बे. ॥ ए॥
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