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________________ सप्ततिकानामा षष्ठ कर्मग्रंथ.६ ចច ។ ॥अथ मिथ्यादृष्टयादिषु उदयनंगसूचिकानाष्यगाथामाह॥हवे मिथ्यात्वादिकगुणगणे प्रत्येके मोहनीयना उदय नांगा प्ररूपवाने अर्थे नाष्यगाथा कहे . अहग चन चन चनर, गाय चनरो अहंति चवीसा॥ मिबार अपुवंता, बारस पणगं च अनिअट्टी ॥५४॥ अर्थ-मिबाश्यपुवंता के० मिथ्यात्वथी मामीने अपूर्वकरणनामा श्राउमा गुणगणा पर्यंत अनुक्रमें नांगा कहे . एटले मिथ्यात्वें अहग के श्राप चोवीशी, साखादने चन के चार चोवीशी, मिों चल के चार चोवीशी, तेवार पनी चोथे, पांचमे, उसे अने सातमे, ए चउरहगाय के चार गुणगणे आठ आठ चोवीशी अने श्रापमे गुणगणे चउरोगहुँतिचठवीसा के चार चोवीशी नांगानी उपजे. एम मिथ्यात्वथी मामीने अपूर्वकरण लगें बावन चोवीशी नांगानी थाय. पली बारसपणगंचशनिबट्टी के अनिवृत्ति गुणगणे बेने जदयें बार नांगा अने एकने उदयें चार नांगा तथा एक नांगो एकोदये सूक्ष्मसंपरायनो, एवं सत्तर नांगा उपर थाय. तेनी साथै बावन्न चोवीशीना ( १२१७ ) मेलवतां ( १२६५ ) नांगा थाय. ॥ इति समुच्चयार्थः ॥ ५४॥ ॥ अथैषां नंगानां पदानां योगादिनिर्गुणानाह ॥ हवे ए मोहनीयना उदय नांगा तथा उदय पदवृंद ते योग, उपयोग अने वेश्या साथें गुणवा, ते उपदेश कहे .॥, जोगोवग लेसा, इएहिं गुणिआ दवंति कायवा ॥ जे जब गुणहाणे, दवंति ते तब गुणकारा ॥ ५५॥ अर्थ-जोगोवढंगलेसाश्एहिं के योग, उपयोग, अने लेश्यादिकें करीने उदय नांगा तथा पदवृंद ते गुणियाहवंतिकायबा के० गुणा करवा ते जेजबगुणगणे के० मिथ्यात्वादिक गुणगणे जे जिहां योग, उपयोग, लेश्या, जेटलां हवंति के होय, तेतबगुणकारा के ते तिहां तेटला गुणा करवा. ॥ ५५ ॥ . ___ तिहां प्रथम योगना गुणाकारनी नावना लखीयें बैयें. चार मनोयोग, चार वचन योग अने औदारिक काययोग, ए नव योग तो मिथ्यात्वधी मांडीने दशमा गुणगणा पर्यंत दशे गुणगणे होय. ते दश गुणगणाना सर्व संख्यायें उदयनांगा (१९६५). तेने नव योग साथें गुणतां ( १९३०५) उदयना नांगा थाय..... __ तथा वली मिथ्याष्टिने वैक्रिय काययोगें वर्त्ततां श्राप चोवीशी नांगानी होय. तथा वैक्रियमिश्र, औदारिकमिश्र अने कार्मण, ए त्रण योगें वर्त्ततां मिथ्यात्वीने प्रत्येके आउना उदयनी एक, नवना उदयनी बे अने दशना उदयनी एक, एवं चार चार चोवीशी जांगानी अनंतानुबंधीश्रा सहितवाली पामीयें, परंतु बीजी चार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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