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________________ ចុច៖ सप्ततिकानामा षष्ठ कर्मग्रंथ. ६ पांचमे त्रण त्रण, तथा बहे अने सातमे एकेक, तथा उने उदय पण इक्कारसेव के अगीबार चोवीशी, तिहां चोथे श्रने श्राठमे एकेकी तथा पांचमे, बडे बने सातमे त्रण त्रण, तथा पांचने उदयें नव के नव चोवीशी. तिहां एक देशविरतियें तथाप्रमत्त अने अप्रमत्तेंत्रण त्रण अने अपूर्वकरणे बे.तथा चारने उदय तिन्नि के त्रष चोवीशी. तिहां प्रमत्त, अप्रमत्त अने अपूर्वकरणे एकेकी जाणवी. एएचवीसगया के० ए सर्व मलीने बावन चोवीशी थ. तथा मुगं के० बेने उदयें बार के0 बार नांगा अने कमि के० एकने उदयें पंच के पांच नांगा, एम सर्व मली बावन चोवीशी अने उपर सत्तर नांगा थया ॥ इति समुच्चयार्थः ॥५५॥ ॥ हवे सर्व जांगानी शरवाले संख्या कहे जे. ॥ बारस पणसहिसया, उदय विगप्पेदि मोदिआ जीवा ॥ चुलसीई सत्तुत्तरि, पयविंद सएहि विने ॥५३॥ अर्थः- बावन चोवीशीने चोवीश गुणा करी छिकोदयना बार अने एकोदयना पांच, एवं सत्तर नांगा नेलीयें, तेवारें बारसपणसहिसया के बारसे ने पांशठ नांगा थाय. उदयविगप्पे हिमोहियाजीवा के० एटला उदयने नांगे करीने सर्व संसारी जीव मोहनीयकम मोह्या मुंजाणा पड्या बे. हवे तेनी पदसंख्या कहे . अहीं मिथ्यात्व, अनंतानुबंधी क्रोध इत्यादिक मोहप्रकृतिने पय के० पद एवी संज्ञा कही बे. तेना विंदसएहि के वृंद जे दश, नव, इत्यादिक उदय नांगाना पद एटले प्रकृति तेना शतक एटले शेकडा केटला थाय ? ते कहे जे. चुलसीई के चोराशीसो अने उपर सत्तुतरी के सत्तोतेर थाय, एटला मोहनीय कर्मना पदबूंदें करी सर्व जीव मुंफाणा थका विनेया के० जाणवा. अहीं एकेका नांगामांहे मोहनीयनी जेटली प्रकृति बोलाय ते नांगामांहे तेटलां पद कहीये. जेम दशने जदयें एक चोवीशी माटे दशने दश गुणा करीये तेवारें दश चोवीशी थाय. नवने उदयें चोवीशी माटें गुणा करतां चोपन चोवीशी थाय, एम धाउने जदयें अगीआर चोवीशीयें गुणतां श्रव्याशी, सातने अगीआरें गुणतां सत्त्योतेर, बने अगीबारें गुणतां शठ, पांचने नवें गुणतां पीस्तालीश, चारने त्रणे गुणतां बार, ए सर्व मती त्रणसें ने बावन चोवीशी थाय. ते एकेकमध्ये चोवीश माटे चोवीश गुणा करतां (4) थाय. ते मध्ये छिकोदयना बारने उगुणा करतां चोवीश थाय तथा एकोदयना पांच, एवं उगणत्रीश नेलीये तेवारें ( 9 ) एटला मोहनीयनां पदवृंद गुणगणानी अपेक्षायें थाय ॥ इति समुच्चयार्थः ॥ ५३ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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