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________________ सप्ततिकानामा षष्ठ कर्मग्रंथ. ६ ए अगीबार उदयस्थानक कहेत, अने बारमो चोवीशनो उदय तो एकेजियनेज होय, बीजाने न होय, तेथी तेना अगीपार जांगा टले तथा एकवीशने उदयें सात अपर्याप्ताना सात नांगा अने संझीश्रा असंझीया नेला गणतां पंचेंख्यितिथंचनो एक नांगो तथा मनुष्यअपर्याप्तानो एक तथा बबीशने उदयें, त्रण विकलेंजियना त्रण, श्रने असन्नी पंचेंख्यितिथंच तथा मनुष्यना बे, एम पांचना पांच नांगा अप. र्याप्ताना टले, तथा वीश, श्राप अने नव, ए त्रण उदयना त्रण नांगा, एवं सर्व थश्ने अहावीश नांगा पूर्वोक्त उदयनांगा { ए१ ), मांथी कांढतां शेष (७७६३ ) नांगा उदयस्थानकना सन्नीया पंचेंजिय पर्याप्ता जीवांहे पामीयें, तेमध्ये एकवीशना उदयना (४०), बबीशना उदयना ( ५५५ ), एवं ( ६३५ ) नांगे प्रत्येके पांच सत्तास्थानक कहेवां. अने बीजां चार सत्तास्थानक ते सामान्यादेशे नव श्रने आउना उदय विनां दश, सत्तास्थानकना जीवनी अपेक्षायें लेवा. हवे संवेध लखीयें बैयें. सूक्ष्म अपर्याप्ता एकेंजियने त्रेवीशने बंधे, एकवीशने उदयें पांच सत्तास्थानक, तेम चोवीशने उदय पण पांच सत्तास्थानक,एवं बे उदयनामली दश सत्तास्थानक थयां. तथा पच्चीशने बंधे पण एज बे उदय होय, तिहां पण सत्तास्थानक दश होय. तेम बबीश, उगणत्रीश बने त्रीश, ए त्रण बंधे पण दश दश नांगा करतां पांच स्थानकें थर, पञ्चाश सत्तास्थानक होय. तथा ए सूक्ष्म अपर्याप्ता एकेंजिय विना शेष ब अपर्याप्ताना जीवस्थानकें पण एज रीतें पञ्चाश पञ्चाश बंध, उदय अने सत्ता संवेधे नांगा होय, पण एटबुं विशेष जे बेंजियादिक पांच अपर्याप्ताने चोवीशना उदयने स्थानकें बबीशनो उदय लेवो. ___ तथा सूक्ष्म एकेंजिय पर्याप्ताने पण एहीज पांच बंधस्थानक ले. तिहां एकेक बंधस्थानकें १-२४-२५-२६, ए चार उदयस्थानक गणतां वीश थयां. ते एकेका उदयस्थानके पांच पांच सत्तास्थानक गणतां एकसो नांगा थाय. तथा बादर एकेंघिय पर्याप्ताना एहीज पांच बंधस्थानक, तिहा एकेके बंधस्थानकें १-२४-२५-२६-२७, ए पांच उदयस्थानक गणतां पच्चीश उदयस्थानक थाय, तेमाहे पांच उदयस्थानके अहोत्तेर विना चार चार सत्तास्थानक होय. तेना वीश नांगा 'अने वीश उदयस्थानकें पांच पांच सत्तास्थानक लेतां सो नांगा थाय. एम शरवाले एकसो ने वीश बंध नदय सत्ता संवेधे नांगा होय. तथा बेंजियपर्याप्तामांहे चोवीशने बंधे ब उदयस्थानक होय, ते माहेला एकवी. श अने बबीश, ए बे उदयें पांच पांच सत्तास्थानक होय. अने २७-२५–३०-३१ए चार उदयस्थानके चार चार सत्तास्थानक होय. शरवाले बबीश नांगा एक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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