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________________ सप्ततिकानामा षष्ठ कर्मग्रंथ.६ ७६१ सत्तास्थानक जाणवं. तथा एकने बंधस्थानकें पण पांच सत्तास्थानक जाणवां. तेमध्ये त्रण तो पूर्वली पेरें उपशमश्रेणीयें नाववां, अने बे दपक श्रेणी नावां, ते कहे बे. जेवारें संज्वलनी मायानी प्रथम स्थिति आवलिकामात्र रहे, तेवारें संज्वलनी मायानो बंध, उदय अने उदीरणा साथें टले, तेवारे एकनुं बंधस्थानक होय, अने बे समयोन बे श्रावलिका लगें मायानी सत्ता बे, ते जणी बेनी सत्ता होय. तेवार पनी अंतरमुहूर्त पर्यंत एक लोचनी सत्ता होय. ए सर्व नवमे गुणगणे वर्त्ततां जाणवी. चत्तारिअबंधव ए के तथा बंधने व्युछेदें एटले बंधने अजावें सूक्ष्मसंपराय गुणगणे २७-२४-१-१, ए चार सत्तानां स्थानक होय, तेमध्ये त्रण तो पूर्वली पेरें उपशमश्रेणीयें कदेवां, अने एक संज्वलना लोचनी सत्तानुं स्थानक दपक श्रेणीयें होय, अने बंध तथा उदयने अनावे पण उपशांतमोह नामा अगीश्रारमे गुणगणे -२४-२१, ए त्रण सत्तानां स्थानक होय, एनी जावना पूर्ववत् जाणवी. एम उपशमश्रेणीयें अने पकश्रेणी सत्तानो संवेध कह्यो ॥ इति ॥२४॥ दस नव पन्नर साई, बंधोदय संत पयडि गणाणि ॥ नणिआणि मोदणिो , श्त्तोनामं परं वुद्धं ॥ २५॥ अर्थ- दसनवपन्नरसाई के दश,नव अने पंदर, बंधोदयसंत के बंध, उदय अने सत्तानां स्थानक अनुक्रमें एटले दश बंधनां स्थानक, नव उदयनां स्थानक अने पंदर सत्तानां स्थानक, तेना प्रत्येके नांगा अने ते बंधोदय सत्ताने संवेधे पयमिगपाणि के प्रकृतिनां स्थानक ते सर्व मोहणिो के मोहनीयकर्मने विषे नणिश्राणि के कह्यां. श्तो के हवे अहींांधकी आगल नामंपरंवुद्धं के अपर एटले नामकमना बंध, उदय अने सत्ता प्रकृतिनां स्थानक तेहना संवेधे नांगा कदेशे ॥ शति समुच्चयार्थः ॥ २५॥ अथ नामकर्मणि आदौ बंधस्थानान्याह ॥ तिहां प्रथम नामकर्मनां बंधस्थान कहे जे. तेवीस पन्नवीसा, ब्बीसा अहवीस गुणतीसा तीसेगतीस मेगं, बंधाणाणि नामस्स ॥२६॥ अर्थ-पहेलुं त्रेवीशनुं बंधस्थानक, बीजं पञ्चीशनुं बंधस्थानक, त्रीजु बबीशनुं बंधस्थानक, चोडुं अहावीशनुं बंधस्थानक, पांचमुं ओगणत्रीशनुं बंधस्थानक, तीसेगतीस के बहुं त्रीशनुं बंधस्थानक, सातमुं एकत्रीशनुं बंधस्थानक अने आपमें मेगं के एक प्रकृतिनुं बंधस्थानक, ए आउ, बंधहाणाणिनामस्स के नामकर्मनां बंधनां स्थानक ९६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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