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________________ सप्ततिकानामा षष्ठ कर्मग्रंथ. ६ । ७५३ ॥ हवे आगले बंधस्थानके उदयस्थानक कहे . ॥ इत्तो चन बंधाइ, इकिकुदया दवंति सवेवि ॥ बंधो चरमेवि तहा, उदया नावे विवा हुजा ॥१॥ अर्थ-श्तो के अहींयां पांचना बंधस्थानकथकी पागल हवे चजबंधा के चतुबंधादिक एटले चारनो बंध, त्रणनो बंध, बेनो बंध अने एकनो बंध, ए चार बंधस्थानके शकिकुदयाहवं तिसवेवि के एकेक प्रकृतिनुंज उदयस्थानक सर्व बंधस्थानकने विषे होय. ते केम के पुरुषवेदनो बंध टले, पडी चार संज्वलननोज बंध होय, पुरुषवेदना बंध साथें उदय पण टले तेमाटें तिहां चतुर्विध बंधे एकोदयें चार नांगा होय, जे नणी चार संज्वलना कषाय मांहेलो कोशएकने संज्वलना क्रोधनोज उदय होय, कोशएकने संज्वलना माननोज उदय होय, कोशएकने संज्वलनी मायानोज उदय होय, अने कोशएकने संज्वलना लोजनोज उदय होय. एम चार नांगा, उदयना अनिवृत्तिकरणने बीजे जांगें होय. अहील कोइएक श्राचार्य, चतुर्विध बंधने संक्रम का त्रण वेदमाहेला एक वेदनो उदय माने , तेवारे तेने मते चतुर्विधर्वधने पण प्रथम कालें चार संज्वलनाने त्रण वेद साथें गुणतां बार जांगा छिकोदयना श्रहीं पण थाय, तथा पंचविधबंधे पण हिकोदयना बार नांगा थाय. एम छिकोदयना चोवीश नांगा प्रथम कालें होय.ते पडी चतुर्विधबंधे एकोदयना चार नांगा होय. तेवार पली संज्वलना क्रोधने उच्छेदें अनिवृत्तिने त्रीजे लांगें त्रिविधबंध होय. तिहां एकनो उदय होय, तेना नांगा त्रण उपजे, तेवार पड़ी चोथे नांगे बेने बंधे संज्वलन माया तथा लोन, ए बेमांदेला एकने उदयें बेनांगा होय, तथा एक संज्वलन लोजने एक बंधस्थानके एक संज्वलन लोजनो उदय होय, तेनो एक नांगो नवमा गुणगणाना पांचमा नांगे होय. हवे बंध विमा मात्र उदयनोज एक नांगो थाय, ते कहे . बंधोचरमे वितहा के मोहनीयना बंधने अनावे पण सूक्ष्म संपरायगुणगणे एक संज्वलना लोजर्नु उदयस्था-नक होय. तिहां एक जांगो जाणवो. एम चारने बंधस्थानके नांगा चार, त्रणने बंध, स्थानकें नांगा त्रण, बेने बंधस्थानकें जांगा बे, एकने बंधस्थानके नांगो एक, तथा बंध शून्य करतां नांगो एक, एवं अगीर नांगा एकने उदये थया. अहींयां जोपण संज्वलना क्रोधादिकना उदयमांहे विशेष नथी तोपण बंधस्थानकें विशेषे करी विशेष जाणवू. : पनी उदयाजावेविवाहुजा के उदयने अनावे पण उपशांतमोहें उपशांत कषायनी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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