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________________ ४३ संग्रहणीसूत्र. शक्ति ने ते कही. जे वस्तु पूर्वे कीधी ले ते हमणां करे बे, अने आगमिक काले करशे तेने शक्ति कहीए, अने जे शक्ति बे; परंतु कीधी नथी, करतो पण नथी, ने करशे पण नहीं, ते शक्तिविषयी कहीए. ए परमार्थ, वृति थकी जाणजो. ॥१२॥ ॥ हवे असुरकुमारादिक निकायोनी दक्षिणश्रेणिनी नुवनसंख्या देखाडे .॥ चनतीसा चनचत्ता ॥ अहत्तीसाय चत्त पंचण्डं ॥ पन्ना चत्ता कमसो॥लका नवणाण दाहिणजे ॥२३॥ अर्थ- पहेला असुरकुमार देवोनां चलतीसा के चोत्रीशलाख जुवन, नागकुमारनां चचत्ता के चुमालीश लाख नुवन, अने सुपर्णकुमारनां अहत्तीसाय के श्रा. मंत्रीशलाख जुवन. एक विद्युतकुमार, बीजो अग्निकुमार, त्रीजो छीपकुमार, चोथो उदधिकुमार, पांचमो दिशिकुमार, ए पंचण्हं के पांचे निकायनेविषे चत्त के० चालीश चालीश लाख जुवन . अने पवनकुमारनां पन्ना के पचाश लाख जुवन . स्तनितकुमारनां चत्ता के चालीश लाख जुवन बे. कमसो के ए अनुक्रमे लरका के० लाखो दाहिण के दक्षिणश्रेणिनेविषे लवणाण के जुवनोनी संख्या कही. ॥हवे उत्तरश्रेणिनां नुवननी संख्या कहे .॥ ॥चन चन लरक विस्णा ॥तावश्या चेव उत्तर दिसाए सवेवि सत्तकोडी ॥ बावत्तरि हुँति लकाय ॥२४॥ अर्थ- जे दक्षिणश्रेणिए दशे निकायना जुवननी संख्या पूर्वे कही, तेमांहे एकेकाने चउ चन लरक विहणा के चार चार लाखे उबां करयां थकां शेष जेटलां नुवन जे जे निकायनां रहे, तावश्या के तेटला तेटलां चेव के निश्चेथकी हुँति के० होय. उत्तर दिसाए के उत्तरदिशिना निकायने जुवन होय. एम सर्व मली दक्षिण श्रेणिनां जुवन चार क्रोम ने उ लाख थाय. उत्तरश्रेणिनां जुवन त्रण क्रोम अने बासठ लाख थाय. ए रीते सव्वेवि के० सर्वेमलीने सयकोडी के सातकोम अने बावत्तरिलरकाय के बहोतेर लाख नुवन ते डंति के होय. ॥ २४ ॥ ॥ हवे ए पूर्वोक्त जुवन क्यों ? ते स्थानक बतावे .॥ रयणाए दिहुवरि ॥ जोयण सहस्सं विमुत्तु ते नवणा॥ जंबुद्दीवसमा तह ॥ संख मसंखिजा विबारा ॥२५॥ अर्थ- रयणाए के० रत्नप्रजा पृथ्वीनो एक लाख ने एंसी हजार योजननो पिंग जामपणे डे, तेमांथी हितुवरि के हेठे ने उपर, एटले नीचे अने उपर, जोयण सहस्संविमुत्तु के एक एक हजार जोजन मूकीने वचमांना एक लाख अभ्योतेर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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