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बंधस्वामित्वनामा तृतीय कर्मग्रंथ. ३
४यल
गुणठाणे उघ के० कर्मस्तवमध्ये जे प्रमाणे गुणवाणानो बंध कह्यो, ते यहीं पण लेवो. एटले सास्वादने एकसो ने एक, मिलें चम्मोतेर, अविरतियें सत्योतेर, देश विरतियें शमशव अने प्रमत्तें त्रेशठ प्रकृतिनो बंध जाणवो यहींथां कोई पूढे जे चोथा गुणगणाथी आगल, सुरायुबंध केम होय ? जे जणी अशुभ त्रण लेश्यामांदे सम्यदृष्टि मनुष्य, तिर्यंच, एक देवायु न बांधे. एम श्री जगवती सूत्रना एकत्री शमे शतकें वरुणातूयानो मित्र सम्यक्त्वधारी दतो पण कमलेश्या माटें देवता न थयो पण मनुष्य थयो एम कयुं छे.
तथा जे लेश्यायें श्रायु बांधे ते लेश्यायेंज मरण पामे अने तेज लेश्यावंत देवोतरे तो वैमानिक देवोमध्यें अशुभलेश्या नथी, तो क्यां श्रावी उपजे ? तेथी चोथे गुणगणे बहोंतेर, पांचमे बारा, बहे बाराव प्रकृति बांधे. सुरायुबंधस्वामि तिहां न पामियें, तेजी ए वात बहुश्रुतने विचारवा योग्य बे. ॥२२॥
मां
तेऊ निरय नवूणा, उको चन निरय बार विष्णु सुक्का ॥ विष्णु निरय बार पम्हा, अजिणादारा इमा मिळे ॥ २३ ॥
अर्थ - तेऊ निरयनवूणा के० तेजोलेश्यायें नरकादिक नव प्रकृतियें ऊणो, उघें एकसो ने गीर प्रकृतिनो बंध करे. उोचन के० उद्योतादिक चार ने निर array ho नरकत्रिकादिक बार, एवं शोल प्रकृति विना शेष एकसो ने चार प्र कृतिनो बंध उ सुक्का के० शुक्ललेश्यावंतने जावो. विणुनिरयबार के० नरकत्रिकादिक बार प्रकृति विना शेष एकसो ने आठ प्रकृति पन्हा के० पद्मलेश्या मार्गायें बांजिाहराइमा के० जिननाम तथा श्राहारकद्विक, ए त्रण प्रकृति वर्जीने शेष बंधप्रकृति, मिछे के० मिथ्यात्वें कहेवी.
तेजोलेश्यामार्गणायें तेजोलेश्यावंत जीवने सात गुणवाणां होय, ते त्यां उधे एकसो air प्रकृतिनो बंध होय, जेजणी एकसो वीशमांहेथी नरकत्रिक, सूक्ष्मनाम, अ. पर्याप्तनाम, साधारण नाम, बेंद्रियजाति, तेंद्रियजाति, चरिंद्रियजाति, ए नव प्रकृति न बंधाय. जेजणी नारकी अने सूक्ष्म एकेंद्रिय तथा विकलेंद्रियमध्यें तेजोलेश्यावंत देवता पण ए पांचमध्ये न उपजे, अहीं नारकीमां नारकीत्रिक, तथा सूक्ष्म एकप्रियमां सूक्ष्म त्रिक, तथा विकलेंद्रियमां विकलें प्रियत्रिक, एवं नव प्रकृति विना शेष एकसो ने गीर प्रकृति उधें बंधाय
शुक् लेश्यावंत जीवने उधे एकसो ने चार प्रकृतिनो बंध होय, जे जणी एकसो वीश प्रकृति मांथी उद्योतनाम, तिर्यंचगति, तिर्यचानुपूर्वी, तिर्यंचायु, ए ज्योतचतुष्क तथा नरकगति, नरकानुपूर्वी, नरकायु, सूक्ष्म, अपर्याप्त, साधारण, विकलजातित्रिक,
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