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________________ ४२६ कर्मस्तवनामा द्वितीय कर्मग्रंथ. नर अणुपुवि विणा वा, बारस चरिम समयंमि जोखविन ॥ पत्तोसिहिं देविं, द वंदिरं नमह तं वीरं ॥ ३५ ॥ सत्ता सम्मत्ता ॥ इति कर्मस्तवाख्यो द्वितीयः कर्मग्रंथः संपूर्णः ॥२॥ अर्थ-नरअणुपुश्विविणावा के० मनुष्यानुपूर्वीनो उदय नथी, तेथी ते विना मतांतरें बारसचरिमसमयंमि के बार प्रकृति, बेले समय जोखविउ के जे खपावीने पत्तो के प्राप्तो एटले पाम्यो, सिडिं के० सिझगति एटले मोक्षगति, ते प्रत्ये देविं. दवं दिथं के० देवेंखें वंदित तथा देवें सूरियें वंदित, नमहतंवीरं के० एवा श्रीमहावीरदेवनां चरणकमल डे, तेने नमस्कार करो ॥ ३५ ॥ पूर्वोक्त कारणचणी मनुष्यानुपूर्वीनो उदय नथी ते विना मनुष्यगति, मनुष्यायु, त्रस, बादर, पर्याप्ति, यशःकीर्ति, श्रादेय, सौजाग्य, तीर्थंकरनाम, उच्चैर्गोत्र, पंचेंजियजाति, एक वेदनीय, ए बार प्रकृति चरमसमयें उदयवती डे ते जणी ए स्तिबुकसंक्रम विना खजावें स्थितिक्ष्य थाय, ते माटे ए बार प्रकृति शुक्लध्याननो चोथो पायो समुछिन्नक्रियायनिवृत्ति एवे नामे . तेणे करी खपावीने साकारोपयोगें वर्त्ततां सकल कर्म टाली शुरू सहजरूप निरुपाधिक शुकोपयोगी एक समय समणि ज्यां श्रीअपापानगरीयें हस्तिपालराजानी राजसनायें देशना देतां थकां त्यां जे आकाशप्रदेश अवगाह्या हता, तेहनी ऊर्ध्वसमश्रेणिये जे सिफदेवना आकाशप्रदेश, ते आकाशप्रदेश श्रवगाहि, अचलरूप रह्या, पण ते श्रेणिना वचला आकाशप्रदेश स्पा नहीं, ए अचिंत्यशक्तिना धणी जो आत्मप्रदेशना दंम विना स्पर्श हुँतें जाय तो असंख्याता समय लागे, तेजणी सिद्धनी अस्पृशजति मानवी. एवा श्रीमहावीर वईमान चरम तीर्थकर अनेक देवेंद्र कहेतां चोशठ इंजें पूजित अथवा ग्रंथकर्ता तपागबाधिराज नहारक श्रीदेवेंजसूरियें वंदित, तेह प्रत्ये वांदो तेने नक्तिपूर्वक नमस्कार करो ॥ ३५ ॥ इतिश्री हितीयकर्मस्तवाख्यस्य बालावबोधः संपूर्णः ॥२॥ ២២២២២២២២២២២២២២២២២២២២២ ॥ इति श्री बालावबोधसहित कर्मस्तवनामा - द्वितीय कर्मग्रंथः संपूर्णः ॥५॥ @gayaayeeyonyaayonyooooooosyorycoomycoyoyoyoyeGyaayoyos.sg 1०००Y Y Y Y Y Y Y Y Y Y Y Y Y Y Y Y Y Y Y Y600 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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