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________________ लधुदेवसमासप्रकरण. लवणसमुजना बे सूर्य तेसिं के तेना दीवाय के बेबे द्वीप जाणवा. एटले वचमां गौतमछीप , अने बन्ने पासे बे बे सूर्यवीप . ॥ २ ॥ जग परुप्परि अंतरि ॥ तद विबर बारजोयणसहस्सा ॥ एमेव य पुवदिसि ॥ चंदचनकस्स चल दीवा ॥२१॥ अर्थ- जग के जगतीथकी बीपनुं वेगलापणुं अने परुप्परि अंतरि के छीपन परस्पर एटले माहोमांहे अंतर तह के तथा छीपनो विबर के० विस्तार ते बारजोयणसहस्सा के बार हजार योजन जाणवो. य के वली एमेव के ए प्रकारेज पुवदिसि के पूर्वदिशिनेविषे जगती थकी बार हजार योजन लवणसमुज्मांहे बे चंजमा जंब्रहीपना अने बे चंजमा लवणसमुना ए रीते चंदचजकस्स चउदीवा के चार चंजमाना चार छीप बे. २५१ एवंचिय बादिर ॥ दीवा अ6 पुवपबिम ॥3 लवणे उधायश्, संड ससीणं रवीणंच ॥२२॥ अर्थ- एवंचिय के ए प्रकारे बाहिर के बाहेर थकी धातकी खंडनेविषे तथा मंदर पर्वत थकी पूर्वपश्चिम दिशे लवणसमुनी जगती थकी बार हजार योजन लवण समुअमांहे शिखानी दिशि फरे, ते बे चंजमा लवण समुजना, श्रने चंद्रमा धातकी खंडना, ए रीते आठ चंजमाना छीप पूर्वदिशिएं , तथा बे सूर्य, लवणसमुजना, अने उ सूर्य धातकीखंडना, एवं थाउ सूर्यना द्वीप पश्चिम दिशे .॥२॥ ॥ए चंजमा थने सूर्यना छीप पाणी उपर केटला जे ते कहे . ॥ एए दीवा जलुवरि ॥ बदि जोयण सहअहसीइ तदा ॥ व भागावि य चालीसा ॥ मधे पुण कोस उगमेव ॥ २३ ॥ - अर्थ- एएदीवा के ए पूर्वे कह्या जे चंजमा अने सूर्यना छीप ते जवुवरि के० पाणी उपर बहि के जंबलीप धातकीखंमनी दिशिथी जोतां जोयणसवयहसी के साडीहासी योजन तहा के तथा प्रकारे नागावियचालीसा के उपरे पंचाणुथा चालीश जाग एटला पाणीथी उपर जे, ते जाणवाने श्रर्थे प्रथमनी पेरे यांकनी त्रण राशि मांडीएं. एक पंचाणु हजार, बीजी सातसे अने त्रीजी चोवीश हजार, सुलनपणामाटे बिंछ टालीने वच्चेनी राशि हेली राशिसाथे गणतां सोल हजार ने श्रासो थाय, तेने पेहेली राशिना पंचाणु हजार , तेना बिंदु टालतां पंचाणुजागे वेहेंचीएं तेवारे एकसो उत्तेर योजन उपर पंचाणुश्रा एंसी नाग श्रावे. एटली लवणसमुनी शिखादिशि जलवृद्धि, तेनुं बर्ड अठासी योजन थाय . तेनी साथे पाणी थकी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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