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________________ लघुक्षेत्रसमासप्रकरण. नरखितं जा समसे, णिचारिणो सिग्घसिग्धतरगणो॥ दिहिपदमिति खित्ता, णुमाण ते नराणजदा ॥१७॥ अर्थ- ते चंड सूर्य नरखित्तं के नरदेत्र जे अढी छीप ने त्यांसुधी जासमसेणिचारिणो के० यावत् समश्रेणीएं चाले . संघयणी मांहे पण एमज कडं बे. दोससि दोरविती ॥ एगंतरिया सहि संखाय ॥ मेरुपया हिणंता ॥ माणुसखित्तंपरिश्रमंति ॥१॥ वली ते चं सूर्य केहवा बे? सिग्घसिग्घतरगश्णो के० शीघ्र शीघ्रतर गति डे जेमनी एवा , एटले चंजमा थकी सूर्यनी गति उतावली . सूर्य थकी ग्रहनी गति उतावली , ग्रहथकी नक्षत्रनी गति उतावली बे, ते के० ते चंद्र सूर्यादिकना खित्ताएमाण के क्षेत्रना अनुमान एटले प्रमाण थकी केटलां वेगलां नराणदिति पहमिति के मनुष्यनी दृष्टी गोचरनेविषे आवे ते कहे बे. पणसय सत्तत्तीसा॥ चनत्तीस सदस्स लक गवीसा॥ पुरस्करदीवद्धनरा ॥ पुवेण वरेण पिबंति ॥ १३ ॥ श्रर्थ- एकवीश खाख चोत्रीश हजार पांचवें ने सामतीश योजन प्रमाण क्षेत्रथी पुस्करदीवजनरा के० पुष्कराई छीपना मनुष्य ते पुवेणवरेण पिछंति के पूर्व दिशि उदय पामता अने अवरेण एटले पश्चिमदिशि अस्त पामता एवा सूर्य चंजमा प्रत्ये देखे बे, एटले त्यां तेटला क्षेत्रना वेगला विस्तारथकी देखे ॥ १३ ॥ ॥ हवे मनुष्य देव थकी बाहेर चं सूर्यनो विचार कहे . ॥ नरखित्तबहिं ससिरवि ॥ संखाकरणंतरेदि वा दोई ॥ तह तब य जोसिया ॥ अचलरूपमाणसुविमाणा ॥२४॥ अर्थ- नरखित्तबहिंससिरविसंखा के० मनुष्यदेत्र थकी बाहेर चंड सूर्यनी संख्या प्रथम कही, तेमज होए. वा के अथवा करणंतरे हिहो के बीजो करण एटले उपाय तेणे करी पण होए. ते उपाय शास्त्रांतरथकी जाणवो. पण संघयणी प्रमुख ग्रंथने विषे एज करण विधि श्रादयुं . तह के तथा प्रकारे तब के ते मनुष्य क्षेत्रथी बाहेर जे जोसिया के ज्योतषी चंज सूर्यादिक , ते अचल एटले स्थिर जाणवा. अने मनुष्य क्षेत्रना चंज सूर्यना विमानथी अझ पमाणसुविमाणा के० तेमना विमान अर्क प्रमाणे एवा रुडा मनोहर विमान जाणवा, ॥ १४ ॥ ॥ हवे लक्ष योजन प्रमाण जंबहीपनो परिधि कहे .॥ जंबूपरिदि तिलका ॥ सोलसहस उसय पनणअडवीसा ॥ धणुअडवीस सयंगुल ॥ तेरससढासमदिया य॥२५॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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