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________________ लघुक्षेत्र समासप्रकरण. २३१ सरखा चार जवन जाणवा. तथा तम्माणसचेश्यंव डिमं के० ते श्रीदेवीना जवन सदृश जे पांचमी वमिमं के० मोहोटी चोवीश कोशनी माल बे ते उपर जिनजवन जावं. १४१ पुधिसि सि तिसु ॥ सणाणि जवणेसु पाढियसुरस्स ॥ सा जंबू बारसवे ॥ इयादि कमसो परिकित्ता ॥ १४२ ॥ पुलिस के पूर्व दिशीनी शाखाना जवनने विषे जंबूद्दीपनो अनाट्ठित नामे जेधष्ठायक देव तेने सुवानी सिता बे, तथा तिसुनवणेसु के० शेष जे त्रण वन ते विषे या सणाणि के० बेसवायोग्य सिंहासन बे, ते कोनां बे? तो के- -अणाढियसुरस के अनाहत बे नाम जेनुं एवो जे जंबूदीपनो अधिष्ठायक देव बे, तेनां बे, तथा सा के० ते जंबूदनी जे पीठीका बे, ते बारसवेश्यादिं के० बार वेदिकाए करी कमसो के० अनुक्रमे परिरिकत्ता के० वींटेली बे. ॥ १४२ ॥ दहपमाणं जंवि, वरं तु तमिदावि जंबूरुरकाणं ॥ नवरं महरियाणं ॥ गणे इद अग्गम दिसीउं ॥ १४३ ॥ अर्थ- दहप माणं के० पद्महना कमलनो जे परिवार तथा जंविवरं के० जे पद्मनो विस्तार पूर्वे को बे, तमिहावि के० तेम यहींयां पण जंबूरुरकाणं के० जंबूवृनो जे परिवार ते पण तेमज जाणवो. एटले अहींयां पण बीजा लघु जंबूनो परिवार जाणवो. नवरं के० एटलुं विशेष बे जे तिहां जे चार महत्तरिका देवी कही बे ते महरियाणंठाणे के० ते महत्तरिकाने स्थानके इह के यहींघां अग्गमted to महिषी जाणवी ॥ १४३ ॥ इति गाथार्थ. ० कोस इसएदि जंबू ॥ चनद्दिसिं पुवसालसमजवणा ॥ विदिसासु सेस तिसमा ॥ चडवाविजुया य पासाया ॥ १४४ ॥ अर्थ- जंबू के जंबूवृने चउद्दिसिं के० चारदिशे कोसडसएहिं के० बसें कोशे पुवसाल समजवणा के पूर्व दिशिनी शाखा सरखां जवन जाणवां एटले ए जावार्थ जे जवन जे चैत्यगृह नेते चार दिशिनेविषे जंबूवृथकी बसें कोशें दूर बे तथा विदिसासु के० विदिशने विषे सेसतिसमा के० बीजी त्रण डालने विषे जेवां जवन बे तेवा विदिशिनेविषे चढवा विजुया के० चार वाव किएं सहित पासाया के० चार प्रासाद जावा ॥ १४४ ॥ ताणंतरेसु प्रड जिए, कुडा तद सुरकुराइ प्रवर-दे ॥ राय यपीढे सामलि ॥ रुरको एमेव गरुलस्स ॥ १४८ ॥ अर्थ - ताणंतरेसु के० ते जिननवन तथा प्रासादना श्राव अंतरने विषे श्रड जि Jain Education International For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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