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________________ लघुक्षेत्र समासप्रकरण. ॥ हवे सीता नदीना पांच अहनां नाम कहे बे. ॥ तद नीलवंत उत्तर, कुरुचंदे वय मालवंतो त्ति ॥ प मददसमा नवरं ॥ एएसु सुरा ददसनामा ॥ १३३ ॥ अर्थ - तह के० तेमज नीलवंत, उत्तर कुरु, चंदे के० चंद्र, एरवय के० एरवत अने मालवतोत्ति के० मालवंत इति, ए पांच उत्तर कुरुक्षेत्रमांहे सीतानदीना उह जाणवा. एहनां नाम विद्धह कहिएं. ए सर्व द्रह बे ते पउम दहसमा के० पद्मद्रह सरखा सहस्र योजन लांबा ने पांच योजन पोहोला ने दस योजन ढंका जाएवा. नवरं के० एटलुं विशेष बे जे एएस के० ए उहने विषे जे सुरा के० अधिष्टायक देव बे ते दहस नामा के० पोतपोताना डहने नामे तेमनां नाम बे. ॥ १३३ ॥ ॥ दवे कुल गिरि, जमलपर्वत, पांच यह थाने मेरु एहना सात श्रांतरा कहे बे. ॥ डसय चउतिस जोय ॥ णाई तह सेगसत्तनागाउं ॥ २२० के इक्का रसयकलाई ॥ गिरिजमलदहाण मंतरयं ॥ १३४॥ अर्थ- सय के० श्रवसें अने चउतिस जोयणाई के० चोत्रीस योजन तह तथा प्रकारे सेगसत्त जागार्ड के० एक कलाना सात जाग करीएं, एहवे एक जाग सहित कारला के० अगीधार कला एटलुं कुलगिरि, जमलपर्वत, पांच ह तथा मेरुनो प्रत्येके अंतर जाणवो. ते केम ? देवकुरुनो विस्तार अगी आर सहस्र श्रावसें बेतालीश योजनाने बे कला बे; ते मांहेथी यमलपर्वत ने पांच इह तेणे रुंधेला जे व सहस्र योजन बे ते काढिएं तेवारे अठावनसें बेतालीस योजन छाने कला बे वधे; ते सात जागे वर्हेचतां यावसें चोत्रीस योजन यावे, शेष चार उगरे ते जंगलीसवार गणीएं तेवारे बहुतेर कला थाए तेनीसाथे मूलगी बे कला एकटी करतां होत्तर कला थाए. ते वली सात जागे व्हेंचता जंगली सी अगी आर कला श्रावे, वली एक कला उगरे तेहना सात जाग करिए तेहनुं सातश्यो एक जाग ने श्रीश्रार कला पटलु कुल गिरि तथा जमलपर्वत तथा इह पांच तथा मेरुनुं अंतर जाणवुं ॥ १३४ ॥ ॥ हवे कांचन गिरिनी स्थिति वखाणे बे. ॥ दवावर दस जो ॥ यदि दस दस वियकुडाणं ॥ सोलसगुणप्पमाणा ॥ कंचणगिरिणो ऽसय सवे ॥ १३५ ॥ अर्थ- दहपुवावर दसजोयणेहि के० हथकी पूर्व छाने पश्चिमदिशे दस योजननी वेगलाइएं एकेक ऽहना बने पासाने विषे दसदसकंचण गिरिणो के० दस दस कंचन गिरि जाणवा. ते कंचनगिरि केहवा बे ? तो के- वियहकूमाणं के० वैताढ्यनाकूटथी सोलसगु Jain Education International For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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