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________________ लघुदेवसमासप्रकरण. श्श्य शाल वननी बाहिरनी दिशिनुं विष्कंन बावीस सहस्साई के बावीस सहस्त्र योजन होय. तंचाम्सीविहत्तं के० ते बावीस सहस्र योजनने अठ्यासी जागे वहेंचतां बसें ने पचास योजन लाने तो एटलो दाहिणुत्तर के दक्षिण अने उत्तर दिशिनेविषे वणमाणं के नशाल नामे जे वन डे, तेना विस्तारनुं प्रमाण जाणवू. ॥ १२५ ॥ ___॥ हवे गजदंत गिरि वखाणे जे. ॥ बच्चीससदस चनसय ॥ पणदत्तरि गंतु कुरुनइपवाया ॥ उन वि निग्गया गय ॥ दंता मेरुम्मुदा चनरो ॥ १२६॥ अर्थ-कुरुनश्पवाया के० कुरुक्षेत्रनी जे नदी सीतोदा तथा सीता तेहनुं प्रपात के पमवा नीकलवान स्थानक जे जीजी तिहांथी गंतु के जश्ने बवीस सहस चउसयपणहत्तरि के बवीस सहस्त्र चारसे ने पंचोत्तेर योजन उनवि के बे पासे मेरुम्मुहा के मेरुपर्वत साहामा चउरो के चार गयदंता के गजदंत गिरि . ते निषध तथा नीलवंत पर्वतमाहेथी निग्गया के नीकल्या , ते गजदंता हाथीना दांतने आकारे देखाय ने माटे एने गजदंत गिरि कहिएं ॥ १२६ ॥ .. ॥ हवे गजदंत गिरिनी स्थिति तथा वर्ण अने नाम कहे बे. ॥ अग्गेयाश्सु पयादि, णेण दिसासु सियरत्तपियनीला ॥ नासोमणस विङ्गुपद ॥ गंधमायण मालवंतरका ॥ २२ ॥ अर्थ-अग्गेयाश्सु के अग्नि कूणश्री श्रादि एटले धुरमांमीने पयाहिणेण के प्रदक्षिणावर्त्त गणतां दिसासु के चार दिशीने विषे अनुक्रमे चार गजदंत गिरि बे. तेमां सिय के उज्वलवणे गजदंतगिरि अग्निकूणे , अने नैर्शत कूणे रत्त के रक्तवर्णे गजदंत गिरि दे, तथा वायुकूणे पिय के पीत एटले पीले वर्णे गजदंतगिरि , तथा श्शान कूणे नीला के० नीलवर्णे गजदंतगिरि , हवे अनुक्रमे श्रग्निकूणथी उज्वला गजदंतगिरि प्रमुख चार गजदंतानां नाम कहे . पेहेलो अग्निकूणे सोमनस, बीजो नैईत्य कूणे विद्युत्प्रन, त्रीजो वायुकूणे गंधमायण के गंधमादन तथा चोथो श्शानकूणे मालवंतरका के० माल्यवंत नामे गजदंतगिरि जाणवो. ॥ १७ ॥ ॥ हवे अधो लोके दिक्कुमारिका ज्यां रहे जे ते स्थानक कहे . ॥ अहलोगवासिणी ॥ दिसाकुमारीन अह ए एसिं ॥ गयदंतगिरिवराणं ॥ दिशा चिति नवणेसु ॥१२॥ अर्थ-श्रहलोगवासिणी के अधोलोकने विषे वसनारी जे अहदिसाकुमारीज के श्राप दिकुमारिका ले ते एएसिंगयदंत गिरिवराणं के० ए गजदंतगिरिना नीचे जे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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