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________________ १४ लघुदेवसमासप्रकरण. हया के घोमा अने वेसर प्रमुखनां श्रायुष्य जाणवां. तथा अजा के बागी श्रने गामर तथा सीयाल प्रमुखनु केटद्धं श्रायुष्य होए ? तो के-मनुष्यना आयुष्यनाथहंसा के बाग्मे नागे तेमनां आयुष्य जाणवां. गोमश्सुट्टखराश्के० गाय, नेंस, उंट अने गर्दन प्रमुख तेमनुं श्रायुष्य ते मनुष्यना आयुष्यनुं पणंस के पांचमे जागे जाणवू. तथा साणा के स्वान जे कूतरा प्रमुख तेना आयुष्य ते मनुष्यना श्रायुष्यने दसमंसा के दसमे नागे बे. इति गाथार्थ. ॥ ए॥ इच्चा तिरगण वि॥ पायं सवार एसु सारि ॥ तश्यारसेसि कुलगर ॥ नयजिणधम्माश्नप्पत्ती ॥ एए॥ अर्थ-श्चाइतिरछाणविपायं सवारएसु सारिखं के ए तिर्यंचनां आयुष्य प्रमुख प्राएं सर्व थारानेविषे ए प्रकारे सरखां होए. तथा तश्यारसेसकुलगरनय जिणधम्माइजप्पत्ती-हवे त्रीजा श्राराने अंते नवकुलकरनी नय एटले नीती ते राजनीति अने सर्व संसार व्यवहार तथा जिण धम्माश्के जिनधर्म आदि शब्दथी बादर अनिकाय तथा ज्ञान विज्ञान प्रमुख सर्वनी उत्पत्ति थाए. इति गाथार्थ. ॥ ए ॥ कालगे तिचनबा ॥ रगेसु एगणनवश्परकेसु ॥ सेसग एसुय सिजं॥ ति हुँति पढर्मतिमजिणिंदा ॥ १० ॥ अर्थ-कालगे के बे काल ते अवसर्पिणी तथा उत्सर्पिणीना तिचउबारगेसु के त्रीजा ने चोथा श्राराने विषे एगुणनवश्परकेसु के नेव्यासी पखवाडा पाडला श्रवसर्पिणी कालना जेवारे सेस के रहे तेवारे पढमंतिमजिणिंदा के पेहेला तथा अंतिम एटले चोवीसमा तीर्थकर जे जे ते सिशंति के सिछिपद पामे. अने उत्सपिणी कालना त्रीजा तथा चोथा श्राराना नेव्यासी पखवाडा जेवारे गएसु के जाए तेवारे पेहेला तथा बेला जे चोवीशमा तीर्थकर ते ढुंति के उपजे. ॥ १० ॥ ॥ हवे चोथा श्रारानुं स्वरूप कहे . ॥ बायाल सदस वरिसू॥णिगकोडाकोडि अयरमाणाए ॥ तुरिए नरानपुवा ॥ एकोडितणुकोसचनरंसं ॥ १०१ ॥ अर्थ-बायाल सहस वरिसूणिगकोडाकोडि अयरमाणाए के० बेतालीस सहस्र वरसें उणुं एक कोमाकोमि सागरोपमनुं प्रमाण जे जे श्राराने विषे एवो जे तुरिए के० चोथो थारो तेदने विषे नराज के मनुष्यनुं थायुष्य ले ते पुवाणकोडि के पूर्वकोमि वर्षनुं जाणवू अने तणु के शरीर, मान डे ते कोसचरंसं के कोसनो चोथो जाग एटले पांचसे धनुष्य प्रमाणे जाणवू. इति गाथार्थ ॥ १०१॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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