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________________ २एस लघुक्षेत्रसमासप्रकरण. विस्तार पांचसे योजन काढीएं तेवारे पांचसें बावन योजन अने बार कला रहे; तेनुं अर्ड बसें बहो तेर योजन अने उ कला थाय. तो पोताना अहधारना मुखथी शिखर उपर बसें बगेतेर योजन अने उ कला वहे . अने महाहिमवंत तथा रुक्मीने विषे चार नदी एक हजार बसें ने पांच योजन अने पांच कला पर्वतना शिखर उपर चाले. वली निषध तथा नीलवंत संबंधी चार नदी सात हजार चारसें एकवीश योजन ने एक कला पर्वतना शिखर उपर चाले. अहनो विस्तार पर्वतना विस्तारमाहेथी काढी अर्क करीएं तेवारे एवं पूर्वोक्त मान लाने; तेवार पबी पर्वतना विस्तार बेडे गंतूण के० जश्ने सजिनीहिं के स्व एटले पोतानी जीनी उपर थश्ने नियनियकुंडेसुनिवडंति के पोतपोताना निपातकुंमने विषे ते नदी पडे . ॥७॥ निय जिनिय पिहुखत्ता॥ पण वीसंसेण मुत्तमनगिरि ॥ जाममुदा पुबुदहिं ॥ श्यरा अवरोय दिमु विति ॥ एए॥ अर्थ-नियजिनियपिटुलत्ता के पोतपोतानी जीजीना पहोलपणाने पणवीसंसेण के० पचीशमे नागे मसगिरिमुत्त के मध्य गिरिजे वृत्त वैताढ्य तथा मेरुने मूकीने जाममुहा के जे नदीनुं मुख दक्षिणसामुंबे, पुवुदहिं के ते नदी पूर्व समुपदिशि वले. श्यरा के स्तर एटले जे नदी उत्तरमुख बे, ते अवरोयहिमुर्विति के पश्चिमसमुअदिशि क्ले. एटले हेमवंत तथा एरएयवंतनी नदी वृत वैताढ्यने बे कोस वेगलो मूकी पूर्व तथा पश्चिम दिशिएं वले. वली हरिवर्ष तथा रम्यकनी नदी चार कोश वृत वैताढ्यने वेगलो मूकीने पूर्वपश्चिम दिशिएं वले. तथा महाविदेहनी नदी मेरुपर्वतने आठ कोस वेगलो मूकी पूर्व पश्चिम दिशिएं वले. ॥ ५ ॥ देमवश रोदियंसा ॥ रोदीया गंगडगुण परीवारा ॥ एरमवय सुवम ॥ रुप्पकूलान ताणसमा ॥ १० ॥ अर्थ- हेमव के हेमवंत क्षेत्रमाहे रोहियंसा के रोहिताशा तथा रोहिया के रोहिता एवे नामे बे नदी , ते गंगफुगुणपरिवारा के गंगानदी करतां जेमनो बमणो परिवार जे. एटले अहावीश हजार नदीना परिवारे परिवरी एवी जाणवी. अने एरमवय के एरमवत देत्रमांहे सुवमरुप्पकुलाज के सुवर्णकुला अने रुप्पकुला एवे नामे बे नदी बे. ते ताणसमा के ते रोहितांशा सरखो जेमनो परिवार ने, एटले रोहितांशा नदीनी परे अहावीश हजार नदीए परिवरी ॥६॥ दरिवासे हरिकंता ॥ दरिसलिला गंगचनगुण नईआ ॥ एसिसमा रम्मवए । नरकंता नारिकंता य ॥६॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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