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________________ लघुक्षेत्रसमासप्रकरण. २ए विस्तार थाय. पहेलाना छीपनो विस्तार श्राप योजन, तेने गुणा करतां चोसठ थाय. तो महाविदेहना कुंगमाहे छीप चोसठ योजनना जे. वेदिकानां धार सवाल योजन , तेने श्राग्वार गुणतां पचाश थाय; तो विदेहना कुंमनी वेदिकानां बारणां पचाश योजन पहोला बे, सवेवि के० एम सर्व एका गणीएं तो इह के था जंबुछीपमाहे नव के नेवु कुंमा के कुंड थाय. ॥ ५४॥ ॥ हवे बे गाथाएं करी, बाहेरनी जे चार नदी बे, तेमनी गति कहे .॥ एयंच नश् चनकं ॥ कुंडा बहिवार परिवूढं ॥ सगसहसनइ समेयं ॥ वेयढ गिरिप्प निंदेई ॥ ५५॥ अर्थ- एयंच नश् चउकं के ए चार नदी जे गंगा, सिंधू, रक्ता, अने रक्तवती ते कुंडा के पोतपोताना निपातकुंडथी बहिवार परिवूढं के बाहेरना जरत श्रने ऐरवतने सन्मुख बारणे नीकले. ते केम? तो के-गंगा अने सिंधु ए बे दक्षिणने बारणे नरत सामी नीकले बे, अने रक्ता तथा रक्तवती ए बे उत्तरने बारणे उत्तरना ऐरवत दिशि नीकले बे, पण ते चार नदी केवीले ? सगसहसनसमेयं के सात सहस्त्र सामान्य नदीए सहित जे. एटले गंगाप्रमुख नदी कुंडथी जेवारे वैताढ्य लगीश्रावे, तेवारे तेमने सात सहस्र नदी मले .तेमाटे एवी नदीउना परिवारवाली थर थकी वेयढगिरिप्पनिंदेई के वैताढ्य पर्वतने पण नेदे बे. अर्थात् वैताढ्यनी वच्चे थश्ने नीकले . ॥ ५५ ॥ तत्तो बाहिर खित्त, ६ मा वल पुत्व अवर मुदं ॥ नइ सत्त सहस सदियं ॥ जगइ तलेणंउददि मे॥५६॥ अर्थ- तत्तो के० ते वैताढ्य पर्वत नेदीने नीकल्या पली बाहिर खित्तम के० बाहेरना जे देत्र नरत तथा ऐरवत तेमना अर्धनागना मजा के वचमांथी पुवयवरमुहं के पूर्व दिशि अने पश्चिम दिशि समुफ सन्मुख वलर के वले. जरतक्षेत्र माहे गंगानदी पूर्व दिशाए जाय, श्रने सिंधुनदी पश्चिम दिशिएं जाय. तथा ऐरवत मांहे रक्तानदी पूर्वदिशिएं जाय, अने रक्तवती नदी पश्चिम दिशिएं जाय. पण ते चार नदी केवी ? वैताढ्य पर्वतने नेदीने नीकल्या पली वली नसत्तसहससहियं के बीजी जे सात सहस्र नदी, तेउएं करी सहित जे. एटले चौदसहस्त्र नदीने परिवारे परवरी थकी जेम वैताढ्यने नेदी नीकली ले तेनीपरे जगश्तलेणं के जगतीने पण नेदीने उदहिमेश के० समुअमाहे जाय . ॥ ५६ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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