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________________ रए लघुक्षेत्रसमासप्रकरण. चार सहस्त्र पउमा के कमल बे, तथा अग्गेयाश्सु के अमिकॉणे श्रह के श्राप सहस्र, दक्षिण दिशिएं दस के दश सहस्र, तथा नैत्यकोंणे बारसहस के० बार सहस्र कमल . ए सर्व कमल ने ते अनुक्रमे तिपरिसाणं के श्रादि, मध्य, अने अंत ए त्रण परखदा तेनेविषे बेसवायोग्य जे देवता, तेनां बे. ॥४३॥ श्य बीय परिकेवो ॥ तइए चनसुवि दिसासु देवीणं ॥ चन चन पनमसहस्सा। सोल सहस्सा य रकाणं ॥४४॥ अर्थ-श्यबीय परिकेवो के इतिद्वितीय परिक्षेपःकथितः एटखे ए दिशि विदिशिना जे कमल कह्यां ते मूलगाकमलनो बीजो परिदेप एटले वलय जाणवू- हवे तश्ए के जीजा वलयनेविषे चउसुवि के चार एवीयो पण दिसासु के जे दिशार्ड बे, ते दिशाउँनेविषे देवीणं के० श्री, लक्ष्मी प्रमुख देवीउनां सोल सहस्सायरकाणं के० सोल सहस्र श्रात्मरक्षक देवता बे, तेमने वसवानां चउचउपउमसहस्सा केव चार चार सहस्त्र कमल एकेकी दिशिएं . ॥४४॥ अनिऊंगा तिवलए ॥ उतीस चत्ताऽडयाल खरकाई॥ ग कोडि वीस लरका ॥ पन्नाससदस्स वीससयं ॥ ४५ ॥ अर्थ- अनिलंगा के कह्या कार्यना करणहार एवा देवताउँनां जे कमल बे, ते कमल तिवलय के त्रण वलय-एटले चोथो, पांचमो, तथा बहो ए त्रण वलयनेविषे ने ते कहे . चोथा वलयनेविषे उतीसलका के बत्रीश लोख कमल , तथा पांचमा वलयनेविषे चत्तालका के चालीश लाख कमल , तथा हा वलयनेविषे श्रमयाललरका के अडतालीश लाख कमल , एमअनुक्रमे . हवे ए सर्व कमलनी संख्या एकठी कहे . गकोडी के एक कोडी, वीसलका के वीश लाख, पन्नाससहस्स के पचाश हजार ने वीससयं के एकसो ने वीस. ए सर्व कमल जंबूवृदनीपेठे पृथ्वीकायना पुजलनां जाणवां. ए सर्व कमलना श्राकारे , माटे एने कमल कहीने वाखण्यां . ए जेम पद्माहादिकनेविष कमलनो परिवार वखाण्यो बे, तेम बीजा अहने विषे पण एमज परिवार जाणवो. ॥४५॥ ॥ हवे अहनां बारणां वखाणे .॥ पुवावर मेरुमुहं ॥ उसु दार तिगंपि सदिसि दहमाणा ॥ असी नाग पमाणं ॥ सतोरणं निग्ग नश्यं ॥४६॥ अर्थ-कुसु के० हिमवंत तथा शिखरी ए बे पर्वतो उपर पद्म तथा पुंडरीक ए बे अहनेविषे पुत्वावरमेरुमुहं के० पूर्वदिशि अने पश्चिम दिशि, तथा एक मेरुपर्वतने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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