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२.नन
लघुदेवसमासप्रकरण. अर्थ- ते श्री, लक्ष्मी प्रमुख सर्व देवीनां कमल जलुवरि के० पाणी उपर कोस उगं के बे कोस उच्चं के उंचां बे, अने दह विलर के पहनो जे विस्तार तेनोपणसयंस के पांचसेंमो नाग विचारं के एटलो विस्तार . तथा पद्म थने पुंमरीकाहमांहे कमलनो विस्तार एक योजन , महापद्म अने महापुंगरीक अहमांहे बे योजन कमलनो विस्तार दे, तिगिदि अने केसरी प्रहमांहे चार योजन कमलनो विस्तार जाणवो. बाहिति के कमलनुं जे जामपणुं बे, ते विचरई के विस्तारथी अर्ध प्रमाण , एटले अर्ड योजन, एक योजन, अने बे योजन, ए अनुक्रमे कमलनुंजाडपणुं जाणवू. एवी रीते मूलगा देवीना कमलनो विस्तार तथा जामपणुं कह्यु. ३७
॥ हवे कमलनो वर्ण कहे . ॥ मूले कंदे नाले ॥ तं वयरारिक वेरुलियरूवं ॥ जंबू
णय मस तवणि, ऊ बहिदलं रत्त केसरयं ॥ ३० ॥ अर्थ- मूले के मूलनेविषे, कंदे के कंदने विषे, नाले के नालनेविषे तं के० ते कमल, वयर के० वज्ररत्नमय, अरिह के अरिष्टरत्नमय, अने वेरुलियरूवं के० वैडुर्यरत्नरूप, अनुक्रमे बे. वज्ररत्न उज्वल वर्णे, अरिष्टरत्न श्यामवर्णे अने वैडुर्यरत्न नीलवणे . वली ते कमल केवां ? जंबूणय के रक्तवर्ण सोनु तेहनां मक्ष के मांहे. लां दल के पत्र , अने बहि के बाहेरनां दल के पत्र ते तवणिस के तपा. वेला वर्णनां जेवा पीतवणे बे; वली रत्त के रातां बे; केसरयं के कमलमांहेला तंतु जेहनेविषे, एवां ते कमल डे. ॥ ३० ॥ ॥ हवे कमल मध्येनी कर्णिका, अने श्रीदेवीने वसवानुं नवन तेहy प्रमाण कहे ॥
कमल-६ पाय पिह लु, च कणगमय कणिगोवरि नवणं ॥
अग कोस पिह दी, द चन्दसय चाल धणुहचं ॥ ३५ ॥ अर्थ- कमल के कमलनो जे विस्तार एक योजन, बे योजन, तथा चार योजन तेहगें अर्ड पिहुल के पहोलपणुं, कमलोनी कर्णिकाउँने विषे बे. अने पाय के० कमलना विस्तारनो जे चोथो नाग ते एम के पा योजन, अर्ड योजन, अने एक योजन-एटर्बु प्रमाण अनुक्रमे कमलोनी कणगमय के कनकमयकर्णिका-तेमनुं जच्चं के जंचपणुं बे, ते कलिग के कर्णिकाने जवरि के उपर श्री देवीनुं नवणं के नवन बे. पण ते नवन केवु बे ? अझ के0 अडधो कोस के गाज पिहु के पहोलु बे; अने एगकोस के एक कोस दीह के दीर्घ एटले लांबुं बे. वली ते नवन के ले ? तो के चजदस के चौदसे ने उपर चाल के चालीश धणु के धनुष्य ने, उच्च के जंचपणुं जे नवननुं, एवं . ॥ ३ ॥
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