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लघुक्षेत्रसमासप्रकरण. पांचसे योजन- पहोलपणुं , अने दश योजन उंमा; एम समस्त प्रहनुं मान पर्वतने अनुमाने , एम जाणवू. ॥ ३४ ॥
॥हवे ते पहनां नामो कहे . ॥ बदि पउम पुंडरीआ॥ मले ते चेव हुंति मदपुषा ॥
ते गिछिकेसरीआ॥ अग्जिंतरिया कमेणेसु ॥ ३५ ॥ अर्थ- बहि के बाहेरना हिमवंत श्रने शिखरी-ए बे पर्वत उपर पउम के० पद्मअह, अने पुमरीश्रा के पुंगरीक नामे अहो बे. मले के मध्यना महाहिमवंत, अने रुक्मि-ए बे पर्वत उपर चेव के निश्चयपणे ते के० ते पहेला बे अहनांजे नाम कह्यां ते नामने पाबल, महापुवा के महा शब्द पूर्वे ने जेमने एवा एटले महापद्म तथा महापुंगरीक एवा नामे बे अहो बे. अने अप्रिंतरिश्रा के मांहेला निषध तथा नीलवंत ए बे पर्वत उपर कमेणेसु के अनुक्रमे तेगिडिकेसरीथा के० तिगिछि अने केशरी ए नामे ए बे अहो . ॥ ३५ ॥
॥ हवे ते प्रहमा जे देवी वास करे ने तेनां नामो कहे . ॥ सिरि सजी हिरि बुद्धी ॥धी कित्तीनामियाज देवी॥
जवणवईपलि ॥वमान वरकमल निलया ॥३६॥ अर्थ-सिरि के० श्री, सही के लक्ष्मी, हिरि के इी, बुद्धी के बुद्धी, धी के० धी,कित्ति के कीर्ति ए डे नामियाक के नाम जेमनां एवी जे देवी के० देवी, ते वसे ले. पण ते देवी केवी ने ?- जवणव के० नवनपति निकायनी उपनी बे. वली केवीयो ?-पसिर्जवमाज के पख्योपमर्नु बे श्रायुष्य जेमन, तथा वरकमलनिलयार्ड के प्रधान जे कमल-तेनेविषे निलय के वसवानुं स्थान जेमनु. वली ए देवी अपरिग्रहिता बे. तेमां हिमवंत पर्वत उपर जे पद्मजह बे, तेमां श्री देवी वसे . तथा शिखरी पर्वत उपर जे पुंगरीक अह बे तेमां लक्ष्मी देवी वसे बे, महा हिमवंत उपर जे महापद्म अह , तेमांहे ही नामे देवी वसे जे. रुक्मि पर्वत उपर जे महापुंडरिक अह ने तेमांहे बुद्धी नामे देवी वसे बे, निषध उपर जे तिगिहि अहले, तेमांहे धी एवे नामे देवी वसे बे. नीलवंत पर्वत उपर जे केसरी अह बे, तेमांडे कीर्ति नामे देवी वसे जे. ए ब देवीउनां नाम कह्यां. ॥ ३६ ॥
॥ हवे देवीने वसवाना कमलनुं प्रमाण कहे . ॥ जलुवरि कोसगुच्चं ॥ दद विबर पणसयं सविबारं ॥ बादिल्लि विवरई॥ कमलं देवीण मूलिल्लं ॥ ३ ॥
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