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लघुदेवसमासप्रकरण. डे रुंदाहिं के विस्तार जेमनो. एटले उपर सांकमी . ॥ १३ ॥ वली जगतीयो केवी
? ते कहे . विद्यारफुग के मूल तथा उपरनो ए बे जे विस्तार, तेनो विसेसो के० विश्लेष करीएं एटले अधिकामांहेथी उबो काढीएं बाकी जे रहे ते जमतिना उंचपणाना आंकनी साथे विनत्तु के वहेंचीएं, जे जागे श्रावे तेटलुं चढतां खज के क्षय एटले घटे, अने उतरतां च के चय एटले वधे, ते एमके जगती मूल विस्तारे बार योजननी जे; तेमध्येथी चार योजन उपरतुं काढीएं तो बाकी श्राव रहे. ते श्राप योजनने ऊंचपणाना आठ संगाते वहेंचीएं तेवारे नाग एक श्रावे. ते एक योजन मूलथी उपर चढतां एक योजन जश्एं तेवारे एक योजन विस्तार मांहे घटे; एटले बार योजनना मूल विस्तारमाथी एक योजन घटे, एम क्रमे घटतो घटतो उपर जाता बेडे चार योजन विस्तार थाय. अने एक योजन जगतीना शिखर उपरथी उतरीएं, तेवारे एक योजन वधे. एटले उपरनो चार योजन विस्तार , तेमां एक वधे तेवारे पांच योजन विस्तार थाय, एम अनुक्रमे वधतां वधतां नीचे श्रावतां तलीये बार योजन विस्तार थाय बे. अने ज्यां नाग न पामीएं त्यां मूलगी वहेंचवानी राशीना तेम अंश करीएं के जेम पूरा नाग आवे.वली जगती केवी ?श्य के इति चूला के मेरुनी चूलिका बने गिरि के मेरुपर्वतना कूट के शिखर, तेमनी पेठे , विरकंनकरणाहिं के० विष्कंन कर्ण जेमनो, एटले जेम चूलिकानुं मूल विष्कंन बार योजन , श्रने उपर विष्कंन चार योजन बे, ते चार योजन बारमाहेथी काढीएं, तेवारे श्राप उगरे. श्रने चूलिका चालीश योजन ऊंची बे; ते थाउने चालीश नागे वहेंचतां नाग न थावे तो पाउना तेवी रीते अंश करीएं, के जेम चालीश नागे वहेंचतां नाग पहोंचे. तेमाटे पाउने पांचवार गुणीएं तेवारे चालीश थाय. तेने चालीशे जाग देतां योजननो पांचमो नाग एक आवे ते चूलिकाना मूलथी चढतां एक योजन जाएं तेवारे एक योजननो पांचमो नाग नीचे विस्तारमाथी घटे. अने उपरथी एक योजन उतरीएं तेवारे एक योजननो पांचमो नाग उपरना विस्तारथी विष्कलमांहे वधे. वली गिरि के मेरुपर्वत प्रमुख पर्वतोनो मूल विष्कंन दश सहस्र नेवु योजन अने एक योजनना अगी. यार नाग करीएं ते मांहेला दशनाग एटलो मूले विस्तार बे. श्रने उपरनो विष्कंन एक हजार योजन बे; ते मूल विष्कंनमांथी काढीएं तेवारे नवसहस्र ने नेवुअने उपर अगीयारीया दश नाग वधे, ते उंचपणाना एक लाख योजनसाथे वहेंचतां नाग न आवे, तेमाटे नाग पामवा सारं नव हजार नेवुने अगीयारगणा करीएं, तेवारे नवाणु हजार नवसें ने नेवु थाय, तेमां मूलगा अगीयारीया दश नाग नेलतां एक लाख जाग थाय. ते उंचपणाना लाख योजननी साथे वहेंचीएं तेवारे योजननोनगीयारीयो
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