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________________ संग्रहणीसूत्र. १६३ वर्ण, गंध, रस छाने स्पर्श सरखो होय; ते एक जातियो निमांहे ग्रहण करीएं, तेवा सर्व मी चोराशी लाख होय. जेम गोबरनुं बाएं एक योनी कहीएं. ते बाणामांदे जूदा जूदा विंडी, ऋमि, कीडा, प्रमुख जे घणा जीव होय ते सर्व जूदा जूदा कुल कहीएं ॥ एक योनिमांदे घणां कुल होय ते कड़े बे. ॥ एगिदिए पंचसु | बार सगति सत्त अठवीसाय ॥ विगलेसु सत्तड नव ॥ जल खद चनपय नरग जुयगे ॥ ||२०|| अद्धत्तेरस बारस ॥ दस दस नवगं नरामरे निरए ॥ बारस वीस पविस ॥ हुंति कुल कोडि लकाई ॥ २०६ ॥ इगकोडि सत्त नवई ॥ लरका सढा कुलाण कोडी ॥ अर्थ- पृथ्वी, छाप, तेज, वाउ, ने वनस्पति ए पांचे एकेंद्रीने यथा संख्या कमेण के० अनुक्रमे वारस के० बार लाख कुल कोडी, सग के० सात लाख कुलकोडी, ति के to लाख कुलकोडी, सत्त के० सात लाख कुलकोडी, वीसा के० अडावीश लाख कुलकोडी, एवे अनुक्रमे जाणवी ने विगलेसु के० विकलेंडी जे बेंडी, तेंडी, ने चरिं तेने अनुक्रमे सात लाख, आठ लाख थाने नव लाख कुलकोडी जाणवी . छाने जल के० एक जलचर, बीजा खह के० खेचर, श्रीजा चउपय के० चतुष्पद, चोथा रग के० उरपरिसर्प, पांचमा नूयगे के० जुजपरिसर्प, ए पांचेने अनुक्रमे साढाबार लाख, ॥ २०५ ॥ बार लाख, दश लाख, दश लाख, अने नव लाख कुलकोडी जाणवी. एमज नरामरे निरए के० मनुष्य, देवता, अने नारकी ए त्रणेने अनुक्रमे बार लाख, वीश लाख ने पचीश लाख कुलकोडी जाणवी ॥ २७६ ॥ ए सर्व एकता करीएं त्यारे एक कोडाकोडी सत्ताणुलाख कोडी पचाश हजार कोडी एटली संख्या थाय. कस्थापन ( ११५००००००००००० ) एटली जीवोने उपजवानी योनिमांदे कुलनी कोडी . ॥ हवे बीजी प्रकारे योनी कहे बे. ॥ संवुडजोणि सुरेगिंदि ॥ नारया वियड विगल गनु नया ॥ २०७ ॥ अर्थ- सुर के चार निकायना देवता, छाने एकेंडी ते पृथिव्यादिक पांच, तथा नारया के साते नरकना नारकी, ए सर्वेनी जोणि के० योनि जे उत्पत्ति स्थानक, ते संवुम के० संवृत्त एटले ढांकेली होय, स्पष्ट देखाय नहीं. त्यां देवतानी देवडुष्ये ढांकेली देवशयनीय होय, तेने विचाले देवो उपजे. अने एकेंद्रीयनी योनि जे पृथ्वी, पाणी ते पण स्पष्टपणे न जाणीए. नारकीने ढांकेला गोखने आकारे श्राला बे, त्यां Jain Education International For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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