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________________ संग्रहणीसूत्र २३१ बीजी नरक पृथ्वीएं अगीयार प्रतरना दश आंतरे लाग थापीएं तेवारे नव हजार ने सातसे योजन एकेके श्रांतरे आवे, त्रीजी नरक पृथ्वीने विषे श्राप आंतरे जाग आपवाथी प्रत्येके बार हजार त्रणसें पंचोत्तेर योजन श्रावे, चोथी पृथ्वीएं । थांतरे प्रत्येके सोल हजार एकसो बासठ योजन अने त्राहीयां बे नाग उपर एकेक अंतरे थावे, पांचमा नरके चार आंतरे प्रत्येक पचीश हजार बसें ने पचाश योजन एकेक अंतरे आवे, बती नरके बे आंतरे प्रत्येके साढी बावन हजार योजन एकेक अंतरे होय, अने सातमे नरके एक प्रतर बे, माटे अंतरो नथी. एटले सविस्तरपणे नारकीर्नु नवनछार कडं. ॥ हवे नारकीनु शरीरमान कहे जे. ॥ पण धणु ब अंगुल ॥ रयणा ए देहमाणमुक्कोसं ॥से सासुगुण गुणं ॥ पण धणुसय जावचरमाए ॥२५॥ अर्थ- रत्नप्रजाएं नारकीर्नु उत्कृष्टुं देहमान पोणाआठ धनुष्य ने बांगुल होय, श्रने सेसासु उगुण उगुणं के शेष एटले बाकीनी बए नरक पृथ्वीएं शरीरमान घमणुं बमणुं यथाक्रमे करता जश्एं, ते जाव चरमाए के० यावत् बेबी सातमी नरक पृथ्वीएं पांचसे योजन शरीरमान उत्कृष्टुं होय.॥२२५ ॥ ते विस्तारपणे उदाहरणे करी देखाडे जे. जेम रत्नप्रजाए सात धनुष्य त्रण हाथ ने उ आंगुल, तेने बमणुं करतां शर्करप्रना नरके पन्नर धनुष्य बे हाथ ने बार श्रांगुल उपर देहमान थाय. तेनेज बमणुं करीएं तेवारे वालुकाए एकत्रीश धनुष्य ने एक हाथ देहमान थाय, तेने बमणुं करतां पंकप्रनाए बासठ धनुष्य ने बे हाथ देहमान थाय. तेने बमणु करीएं तेबारे धूमप्रनाएं एकसो ने पचीश धनुष्य देहमान थाय. तेने बमएं करीएं तेवारे तमप्रनाएं अढीसें धनुष्य देहमान थाय. तेने बमj करीएं तेवारे तमतमप्रजाएं पांचसे धनुष्यनुं देहमान थाय. एटले साते नरकनेविषे सामान्यपणे उत्कृष्ट देहमान कडं. ॥ हवे प्रतर प्रतरनेविषे जूएं जूठं देहमान कहे . ॥ रयणाय पढम पयरे दबतियं देहमाण मणुपयरं ॥ बप्प मंगुखसढा । वुढीजा तेरसे पुमं ॥ २६॥ अर्थ- चावीश श्रांगुले एक हाथ, तेवा चार हाथे एक धनुष्य कहीएं. त्यां रत्नप्रजाने प्रथम प्रतरे उत्कृष्टुं देहमान हबतियं के त्रण हाथर्नु जाणवू. तेवारपनी श्रणुपयरं के प्रतर प्रतरप्रते पूर्व पूर्व प्रतरथकी देहमानमांहें जे वृद्धि करीएं; ते कहे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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