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________________ ११६ संग्रहणीसूत्र. देव, ए सातने जहसंखं के यथासंख्याए एटले अनुक्रमे उहि के अवधिज्ञाननोजे आगारा के आकार एटले संस्थान होय ते कहे . ॥ १६ ॥ तप्पागारे पक्षग ॥ पडदग जल्लरि मुदंग पुप्फ जवे ॥ तिरिय मणुएसु उही ॥ नाणाविह संहिउँ नणि ॥ २ ॥ अर्थ- नारकीन अवधिज्ञान तपागारे के० पाणी उपर तरवाना त्रापाने श्राकारे, जुवनपतिनुं अवधिज्ञान पबग के पालाने श्राकारे, व्यंतरर्नु अवधिज्ञान पमहग के ढोलने श्राकारे, ज्योतषीन अवधिज्ञान जहरि के जबरीने आकारे, बार देवलोकना देवोर्नु अवधिज्ञान मुहंग के मृदंगने आकारे, अवेयकना देवर्नु श्रवधिज्ञान पुप्फ के फूलेनरी चंगेरीने आकारे, अनुत्तरदेवोर्नु अवधिज्ञान, जवे के कुमारी कन्यानो गलकंचु जेवो पेशवाद तूरकणी पहिरणो पहेरे एने ऊ सर कंचुक कहे . ए नामे मारवाम देशमां प्रसिफ ने. तेने श्राकारे जाणवू, श्रने तिरियमणुएसुठही के तिर्यंच तथा मनुष्यने अवधिज्ञान नाणाविद के नानाप्रकारना संस्थाने संधि के संस्थित, जणि के कयुं . जेम स्वयंजूरमण समुअमांहे मत्स सर्व श्राकारे बे; परंतु वलयाकार नथी. अने नर तथा तिर्यंचने अवविज्ञान वलयाकार पण . ॥ १७ ॥ ॥ हवे नारकी, देवता, मनुष्य, अने तिर्यंच ए चारमाहे कोने के। दिशाए अधिक अवधिज्ञान होय ? ते कहे. ॥ उढनवण वणाणं ॥ बहुगो वेमाणियाण हो उदी ॥ नार य जोइस तिरियं ॥ नर तिरियाणं अणेगविदो ॥ १एन । अर्थ-जवण के वनपति तथा वणाणं के व्यंतर, ए बेउने अवधिज्ञान उ8 के उंचुं बहुगो के० घणुं होय, अने तीर्छ तथा नीचं थोडं होय. तेमज विमाणियाण के० वैमानिकने श्रहो के नीचु उही के अवधिज्ञान घj होय. अने तीर्छ तथा उंचुं थोडं होय. वली नारकी तथा ज्योतिषीने तिरियं के तिई श्रवधिज्ञान घणुं होय, अने उंचुं तथा नीचं थोडं होय. श्रने नर के मनुष्य तथा तिरियाणं के० तिर्यंचने श्रणेगविहो के अनेक प्रकारचें अवधिज्ञान होय. एटले कोश्ने चुं घणुं होय, कोश्ने नीचुं घणुं होय, कोश्ने तिर्नु घणं होय, एम नानाप्रकारे विचित्र जाणवू. ॥रए ॥ ॥ हवे ए देवोनुं हार पूर्ण करी नारकी, हार जोमतो कहे .॥ श्यदेवाणं नणियं ॥ विश्पमुदं नारयाण वुनामि ॥ग तिनि सत्त दस सतर ॥ अयर बावीस तित्तीसा॥रएए॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
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