SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 106
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ संग्रहणीसूत्र. इंजनां चिन्ह कयां बे, दशे इंछ विमाने बेशी जगवंतने वांदवाने अर्थ श्राव्या वखाण्या . अहींयां तत्व केवली जाणे. ॥ १०॥ ॥ हवे ए उपरनां विमान कोने आधारे रयां ले ? ते कहे .॥ उसु तिसु तिसु कप्पेसु ॥ घणुदहि घणवाय तनयं च कमा ॥ सुरनवण पहाणं ॥ आगास पाठिया जवरिं ॥ ११ ॥ अर्थ-उसु के सौधर्म अने ईशान ए बे देवलोकने घणुदहि के शीतकाले थी' पाणी होय, तेवं जगत् खन्नावे जाम्युं पाणी हाले चाले नहीं. तेवा पाणी जपरे रह्यां विमान वणसे नही, तेमाटे बे देवलोके घणोदधि आधार बे. अनेत्रीजो चोथो तथा पांचमो ए तिसुकप्पेसु के त्रण देवलोकनेविषे घणवाय के० धनवातनो आधार बे, घनवात ते श्रीणो वायु एटले जाम्यो वायु. ते पण स्वजावे हाले चाले नहीं. वली के सातमे अने बाग्मे ए, तिसुकप्पेसु के त्रण देवलोकनेविषे तानयं के घनोदधी अने घनवात ए बन्नेनो आधार डे. कमा के० ए अनुक्रमे आधार जाणवा. ए थकी आगलना देवलोकनेविषे जे सुरजवणपश्ठाणं के देवनां विमान प्रतिष्ठित एटले रह्यां . ते केवल आगासपठिया उवार के आकाशने आधारे प्र. तिष्ठित एटले रह्यांबे, ते आकाश पण श्रीजाण. ॥ ११९ ॥ ॥ हवे जे पृथिवी उपर विमान रह्यां , ते पृथिवीनो पिंम अने पृथिवी॥ ॥ उपर विमान, उंचपणुं त्रण गाथाए करी ग्रंथकार कहे . ॥ सत्तावीस सयाई ॥ पुढवी पिंडो विमाण उच्चत्तं ॥ पंचसया कप्प उगे ॥ पढमे तत्तोय इकिकं ॥ १२॥ दायश् पुढवीसु सयं ॥ वढनवणेसु 5 कप्पेसु ॥ चनगे नवगे पणगे। तदेव जाणुत्तरे सुन्नवे ॥ ११३ ॥ गवीस सया पुढवी ॥ विमाण मिकार सेवय सयाई ॥ बत्तीस जोयण सया ॥ मिलिया सबब नायबा ॥ १२४ ॥ अर्थ-सत्तावीस सयाई के० सत्तावीसो योजननो प्रमाणांगुले पुढवीपिंको के पुथ्वीनो पिंड जामपणे, अने विमाणउच्चत्तं के० विमान, उंचपणुं पंचासया के पांचसें योजननु, ते पढमे के० पदेला कप्पफुगे के बे देवलोके . तत्तोय के तेवार पली शकिकं के एकेकसो योजन ॥ १९ ॥ पुढवीसु के पृथ्वीना दलमांदेथी हाय केन' जंग करता जश्एं. अने नवणेसु के० विमानने विषे, सयंवद्वसु के सोसो योजन वधारता जश्एं. ए रीते 3 के त्रीजो अने चोयो ए बे, तथा वली के पांचमो ។។ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002168
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1912
Total Pages896
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size27 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy