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________________ वीरस्तुतिरूप ढुंडीनुं स्तवन. - अहीयां कोईक कुमति एम पूजे जे जे “कोण श्रावके देहेरां कराव्यां?” तेने क हिए जे श्री समवायांगसूत्रमा सर्वसूत्रनी ढुंमीछे; तेमां श्रीनपासकदशांगनी ढुंमी मध्ये कझुंडे जे “दशे श्रावकनां चैत्य तथा धर्माचार्य अने नद्यान कही गुं."यहींयां साधु तथा उद्यान जूदां कह्यां :माटे चैत्य शब्द प्रतिमा तथा देहेरांज ठरशे. तथा यद्यपि आज कालना दोषेकरी सातमा अंगमा ए वातोना पाठ विबेद गया ले, तो पण समवायांगनो पात खरोके नहीं?ए लेखे श्रावके देहेरां पण कराव्यां ने. इति. ते पाठ लखीए जैए. ॥ सेकिंतं उवासगदसा उवासगदसासुणं नवासयाणं नगराई उजागाइंचेश्याई वणसंमारायाअम्मासमोधम्मायरिया इति॥अर्थः सेकिंति उवा सगदसा के उपासगदशांग ते गुं कहीए? एम पूछे थके उत्तर कहे. नवासग दसासुणं के नपासगदशांगनेविषे, नवासगाणं के श्रावकोनां, नगराई के नगर कहेवाशे. उगाणा के० उद्यान कहेवाशे. चेश्या के० चैत्य देहेरां कहीगुं, एम वनखम कहीलं, राजा कहीj. अम्मा के माता, पिता, धर्माचार्य कही'.॥६॥ हवे कोइक मूर्ख, अन्य तीर्थानां चैत्यने नहीं वांछ एम कह्यु, त्यां एम अवलु बोले के जो चैत्य शब्दे जिनप्रतिमा कहेशो तेवारे आलावामां एम कर्दा बे के ते हने बोलावीश नही, अन्नादिकापीश नही. ते केम मेलवशो? ते नपर गाथाकहेडे दान कशुं प्रतिमा प्रत्ये॥ एम कहे जे बल हेरीरे ॥ नुत्त र तास संभवतणी॥ शैली के सूत्रहरीरे ॥शा० ॥ ७ ॥ अर्थः-दान का प्रतिमाप्रत्येके० ते कुमति बोल्यो जे प्रतिमाने दान गुं? ए म कहे जे बल हेरीकेएम जे बलना हेरनार कहेले; उत्तर तासके तेहने उत्तर कहे. संनवतणी शैली के सूत्रकेरी के० सूत्रनी ए शैली बे, जेहने जे संनवे तेहने ते जोडीए, नहींतो घणे ठेकाणे अर्थनो अनर्थ थाय. एटले वंदना, नम स्कार ते अन्यती प्रमुख सदुने जोडीए, अने दानादिक ते अन्य तीर्थीनेज जो मीए, पण प्रतिमाने न जोडीए. इतिनाव. इति सप्तमी गाथार्थः ॥७॥ ते संजव उपर सूत्रांतरनो पाठ आगली गाथामा देखाडेले. दशविध बदुविध ज्यम कयुं॥वैयावच्च जद जोगेरे ॥ दश मे ते अंगे तथा ईहां ॥ जोडीए नय उपयोगेरे॥शा ॥ ॥ अर्थः-दश विधकेदश प्रकारचें,बदुविधकेण्अनेक प्रकारनुं ज्येम वैयावञ्च कझुंडे, तेजह जोगेकण्जेहने जेवू घटे तेहवं करवू. पणसामान्यसूत्रमा वैयावञ्च कर कह्यु, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002167
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size18 MB
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