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________________ शोजनकृतजिनस्तुति. जे दानमार्गके मदोदके सहित एवो मार्ग जेथी एवो. अने धुताक विपदगं-धु तके नखेडी नारख्युंजे, अघके पापथी उत्पन्न थएला एक के असाधारण वि पत्के आपदारूप अगके वृद जेणे एवो--गजपदे, धुतके नष्ट थयुंजे, अघ के पापजेनुं, एवो जे पुण्यवान पुरुष, तेनुज जे एक विपद के केवल विशिष्ट एवं स्थान, ते प्रत्ये गके संचार करनारो एवो-अने अनंगंके नंगरहित एवो, गज पण शत्रुथी नंग रहित एवो-अने हेतुदंतके ० दृष्टांतरूपडे दांत जेने, एटले दंते युक्त एवो पुरुषज बीजाने स्पष्ट बोध करनारो थायडे, तेमज सिहांतपण दृष्टांत रूप दंते युक्त होतो थकोज लोकोने बोध करनारो, एमाटे हेतुदंत जाणवो. गज पण शत्रुनो नाश करवा माटे हेतुके कारण के दंत जेना. एवो. ॥३॥ प्रचलदचिररोचिश्वारुगात्रेसमुद्यात्सदसिफलकरामेऽनीमहासेऽरिजीते। सपदिपुरुषदत्तेतेनवंतुप्रसादाः। सदसिफलकरामेऽनीमहासेरिनीत॥४॥ __ व्याख्या-प्रचलत् के चलन पामनारी जे अचिर के विजली. तेनी सरखी जे रोचि के कांति-तेणे करीने सुंदर गात्र के शरीर जेनुं, एवी हे प्रचलदचि श्वारुगात्रे-अने अनीमके बीजाने नयोत्पादक नथी, दासके हास्य जेनुं, एवी हे अनीमहासे ! अने समुद्यत् के० दैदीप्यमान एवा, सदसिके उत्तम खड अने फलक के खेटक, ए आयुधोए करी रामा के 0 मनोहर, एवी हे सदसिफलकरामे! अने अरि के० शत्र तेथीजे नीके जय, तेणे करीने इताके० रहित एवी हे य रिजीते! अने अनी के जयरहित एवीजे महासै रिनी के महोटी महिषी, तेने विषे इता के आरोहण करनारी एवी हे जीमहासैरिजीते ! एवी हे पुरुपदत्ते के पुरुषदत्ता नामे अधिष्ठायक देवि,ते के तारो प्रसादा के प्रसाद, मेके मने सदसिके सनाने विषे, सपदिके त्वरित फलकराः के मनोवांछित फलने उत्पन्न करनारो, नवं तु के यान. ॥ ४ ॥ इति कुंथुनाथ जिनस्तुतिः संपूर्णा ॥१७॥ श्लोकसंख्या ॥६॥ अवतरण-हवे अरनाथ जिननी स्तुति कहेले. व्यमुंचच्चक्रवर्तिलक्ष्मीमिहतृणमिवयःदणेनतं । सन्नमदमरमा .. नसंसार मनेकपराजितामरं॥तकलधौतकांतमानमतानंदित . नरिनतिजाक।सन्नमदमरमानसंसारमनेकपराजितामरं ॥२॥ व्याख्या-ह के आ जरतक्षेत्रनेविषे यः के जे अरनाथ जिनेश्वर, बने कपराजि-यने कप के हस्ति, तेए करी राजित के शोजायमान, एवी चक्रवर्ति - - - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002167
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size18 MB
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