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________________ श्री निगोदवत्रीशी. ७१ ल व्याख्या - सो कोडी, एकजीवना प्रदेशनुं मानले. गोला निगोद धने जीव, एत्रणथी दश सहस्र परिमाण सरखी अवगाहनाबे. ॥ ३१ ॥ जीवरसेक्कस्य दसयसयस्सावगाहिणो लोगो ॥ एक्केकं मिय से पएसलकं समो गाढं ॥ ३२ ॥ व्याख्या:- लोकमांहे दशसहस्र प्रदेश प्रमाण अवगाहनाए रह्यो एकेक जीवना एकेके याकाश प्रदेशे लाख लाख प्रदेश रह्यावे. ॥ ३२ ॥ जीवस्सयस्स जहणं पर्यमि कोडी जियप्पएसाणं ॥ गाढाको से पर्यमिवसग्गं ॥ ३३ ॥ व्याख्या - सो जीवना प्रदेश पदे जीवप्रदेश कोडीले उत्कृष्टपदे जीवना प्रदे नुं प्रमाण कहेले. ॥ ३३ ॥ कोड सदस्स जियाणं कोडाकोडी दसप्पएसाणं ॥ कोसेन गाढा सवजियावेत्तियाचेव ॥ ३४ ॥ व्याख्या - सहस्र कोडी जीवना दशकोडाकोडी प्रदेश उत्कष्टपदे रह्यावे. स घलाए जीव एटला दश कोडा कोडिीबे ॥ ३४ ॥ कोडिनकोसपर्यमि ॥ बायर जी अप्पएस परकेवा ॥ सोदाइ मित्तिच्यंच्चि कायवं खं गोलाणं ॥ ३५ ॥ व्याख्या - उत्कृष्टपदे बादर जीवनी कोडी घालीए, तथा सर्व जीवराशिमां हे की खं गोले जे जीवनी कोडी उठी ते काढीए, तेह कारणे सर्व जीव थकी उत्कृष्ट पढ़े जीव प्रदेशे विशेषाधिक होय. ॥ ३५ ॥ हवे गुरु, शिष्यने कहेले. ए ए सिजदा संभव महोवयणं करिश रासीणं ॥ सनावनं यजाणे द्यते प्रांता संखावा ॥ ३६ ॥ "I 11 11 ॥ व्याख्या - ए राशिनी जिहां जेम संनवे तिहां तेम घर्थनी घटना करी. परमार्थ राशि यनंती अथवा असंख्याती जाणवी इतिश्री जगवती अंगे एकादश शतके दशम उदेशे निगोद विचार संपूर्णः ॥ ३६ ॥ की ॥ इति श्रीनिगोदन्त्रीशी बालावबोधसहित समाप्तः ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002167
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size18 MB
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