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________________ श्रीनिगोदत्रीशी. तेण फुडं विप्रसिद्धं एगपएसंमिजजियपएसा ॥ ते सब जीयतुल्ला मुणसुपुमो जह विसेसहिया॥२४॥ व्याख्या-तेह कारणे उत्कृष्टपदे जे जीव प्रदेश ते सर्व जीवने तुल्य . ए वा त प्रकट सिकी कल्पनाए बेकने सरखा देखाडीए बैए. गोले लाखनिगोद ले; निगोदे निगोदे लाख जीव ले. एकेका जीवना लाख लाख प्रदेश . ए उत्कृष्टपदे बे. गोलाना निगोदने लाखे, जीवनुं लाख गुणीए तो सहस्र कोडी थाय. जे जीव प्रदेशना लाखे गुणतां दश कोडा कोडी थाय. एटला उत्कृष्टपदे जीव प्रदेश ने. गोले गोले लाख निगोद ले, लोकमांहे लाख गोलाजे गोले गोले लाख निगोदने निगोदे निगोदे लाख जीव ले. गोलाने लाखे निगोदना लाखने गुपीए तो सहस्त्र कोडी थाय. तेणे निगोदे रह्या जीवना लाखे गुणीए तो दशकोडी था य. एटला सर्व जीव ले. एम नत्कृष्टपदे सर्व जीव ए बंने दश कोडाकोडी प्रमाणसमानज.तेम सर्व जीव थकी जीव प्रदेश विशेषाधिक होय तेम सांजल.॥२४॥ सर्व जीवथकी उत्कृष्टपदे जीवप्रदेशे विशेषाधिक देखाडे जे. जंसंतिकेश खंमा गोला लोगं तवत्तिणो अन्ने॥ बायर विगाहिए हिय नकोसपयं जमशहियं ॥ २५ ॥ व्याख्या-जेह कारणे केटलाएक लोकांते वर्तता अनेरा खंम-गोलावे. पूरा गोला थकी खंगोले कल्पनाए कोटी जीव उना. ते कोडी जीव, दशकोडा कोडीरूप सर्व राशीथकी काढीए, एमाटे ते सर्व जीवराशी अति थोडी थाय. उत्कृष्टपदे दशकोडाकोडी प्रमाण जीव प्रदेश राशी पूरीज : ते माटे ते जीव प्रदेश, विशेषाधिक थाय. तथा बादर अने विग्रह गतीक जीवने प्रदेशे करीने नत्कृष्टपदे जेह कारणमाटे सर्व जीवराशी थकी अधिका डे, तेह कारणमाटे स व जीवथकी उत्कृष्टपदे जीव प्रदेश विशेषाधिक थाय. अत्र नावना. सूक्ष्म नि गोदने असंख्यातमे नागे वर्तता कल्पनाए कोटी प्रमाण बादर विग्रहगतिक जे जीवले, ते सर्व जीवराशिमाहे स्थापीए तो, वली सर्व राशि जीवप्रदेशने तुल्य ज थाय. तथापि ते कोडी जीवनो असंख्यातमो नाग कल्पनाए सो जीवनी को डीप्रदेश उत्कृष्ट पदे अधिका होय. तेमाटे सर्व जीवराशी थकी उत्कृष्टपदे, जी व प्रदेशाधिक होय. ॥ २५ ॥ - - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002167
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size18 MB
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