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________________ वीरस्तुतिरूप इंडिनुं स्तवन इनए जीवानिगममां असंघयणी कह्या तो संघयणविना मांस क्याथी! एकेम? G० पन्नवणामां बीजे पदे ॥ दिवेणं संघयणेणं ॥ एम कडं अने जीवानिगमे देवता असंघयणी कह्या. ए केम? ७१ नगवतीसूत्रना शतक पांचमे उद्देशे आठमे समू लिम मनुष्यने अडतालीश मुहूर्त अवस्थित काल कह्यो; अने पन्नवणामां चोवी श मुहूर्तनो उत्कृष्टो विरह कह्यो. एटले कोइ पजे पण नहीं अने कोइ चवे प ए नहीं, अने जगवतीने लेखे चोवीश मुहूर्त लगे ऊपजे एटला चवे; एम अवस्थि त काल कह्यो, ते अंतर्मुहूर्तयाउषावालाने केम घटे ? ७२ नगवती तथा सम वायांगे शकस्तव पाठफेर केम ? ७३ वाणांगमां त्रीजे गाणे उद्देशे पहेले पांच देव लोके त्रणवर्ण कह्या. कृष्ण, नील, अने रक्त. जीवानिगमे, लोहित, पीत अने गुक्त. एकेम? G४ पन्नवणामां प्रथम पदे पुजलना नेद पांचसें त्रीश थाय: उत्त राध्ययनमा चारसें व्यासी नेद थायडे. एकेम ? ७५ प्रज्ञापनामां वीशमे पदे कि विषियाने जघन्यथी सौधर्म अने उत्कृष्ट लांतके जाय. जगवतीमा किल्विषिया जघन्यथी नवनपति, उत्कृष्टा लांतके जाय. एकेम? ७६ कल्पसूत्रमा संहरतां वो र प्रनु न जाणे, अने याचारांगमां कह्यं संहरतां जाणे, एकेम? ७७ याचारांगे कहां जे प्रथम देवताने धर्म कही पड़ी मनुष्यने कहे, घने गणांगमां दश अबेरामा अनाविया अप्युरिसा. ते गुं? 5 उववाश्मां गुन मन वचन काया नदेरवां क ह्यां धने नगवतीमां ए जतो कंपतो हिंसा करे का. एकेम ? नए उपासकदशां ग मध्ये आणंदश्रावके जगवंतने का जे दुं बारव्रत नचरीश; एम करीने सातव्र त उचस्यां; वली अतीचार बारे व्रतना कह्या. एकेम? ए० इत्यादिक केटला लख्यां जाय. ए सर्व टीका नियुक्ति पूर्णिविना केवल सूत्रे मेलवी आपो,तो तमे रांक सरखा गुं मेलवी जाणो ? कोई पातांतर, कोअपेक्षा, कोइ उत्सर्ग, कोई अपवाद, कोश नये, कोइ विधिवाद, को चरितानुवाद प्रमुख सूत्रना गंजीर याशय समुश् सरखी बुधिना धणी टीकाकार प्रमुख जाणे. ते टीका प्रमुख तो तमे एक प्रतिमादेषे सर्व नथाप्यां. ए प्रसंगे सख्यं.॥१६॥हवे सूत्र अनुसरीए बैए. पूर्वे जगवतीनी साखे त्रण प्रकारनो अनुयोग कह्यो हतो. वली नियुक्तिना अदर देखाडेले. गाथा कहे. सूत्र निजुत्तिरे बेक नेदे को॥त्रीजुं अनुयोगधार॥ कूडा कपटीरे जे माने नही ॥ तेदने कवण आधार॥स॥२॥ अर्थः-सूत्र तथा नियुक्ति-ए बेक दे त्रीजो अनुयोगके त्रीजा अनुयोग को For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.002167
Book TitlePrakarana Ratnakar Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhimsinh Manek Shravak Mumbai
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size18 MB
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