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वीरस्तुतिरूप ढुंड नुं स्तवन.
धाकर्मी प्रहार करतो सातकर्म बांधे. सिथिल दोयतो गाढ करे. इत्यादि. ए केम ? ४८ समवायांगे तेतरीश हजार योजन कांइक कणुं चतुस्पर्शे सूर्य यावे ए मकयुं ने जंबुद्वीपपन्नतीमां बतरीश हजार एक योजन फाफेरो चकुस्पर्शे सूर्य यावे. ए केम ? ४५. समवायांगे मेरुनी तलेटी दशहजार योजन पहली बे एक बे, जंबुद्वीपपन्नतीमा दश हजार नेवु फाफेरी कही बे. ए केम? ५० गवती सूत्रा शतक खामे नदेशे दशमे जीवने पुजल कहीए तथा पुजली क हीए. एम कह्यं बे ए केम? ५१. समवायांगे मेरुनां सोल नाम कह्यां बे, तेमां
मुं प्रियदर्शन कह्युं बे तथा चौदमुं उत्तर कयुंबे, घने जंबुद्वीपपन्नतीमां सो ल नाम बे तेमां यामुं शिलोच्चय कह्युंबे घने चौदमुं उत्तम कांबे. ए केम ? ५३ पन्नवणामां योगीशमे पदे उद्मस्थने प्रणाहारी उत्कृष्ट बे समय कह्याबे, ने नगवतीमा उत्कृष्ट प्रणाहारीना त्रण समय कह्याले. ए केम ? ५३. एमज जीवा निगमे वे समय, नगवतीए समय त्रण. एकेम ? ५४ समवायांगे समण नगवान महावीरने बेतालीश वरस काजेरो साधुपर्याय कह्यो, घने पर्युषणाकल्पमां बे ताजीश पूरी कां. ए केम ? ५५. जीवा निगमे रुचकद्वीपथी संख्यातु मान कह्युं बज पंचाशी क रुचक छीपनुं मा
ने जीवा निगमने लेखे ठगल बमणां गणतां एक निखर्व चार रोड बोतेर लाख मान श्रावे. वली त्रिप्रत्ययावतार गणे तो न ११००२२३४७७७६००००० थाय; अने जगवती सूत्रमां शतक बठे उदे शे सात तथा अनुयोगद्वारे एकसो चोराणु ांक लगे तो संख्यातु गएयुं, वली पालाने माने संख्यातु तो वेगलुं रह्युं; पढी असंख्यातु यावे तो रुचक द्वीप संख्यातो केम थयो ? ५६. समवायांगे खाडतरीशमे समवाए मेरुनो बीजो कांम प्रातरीश हजार योजन उंचो कह्यो; तथा सोलमे समवाये प्रथम कांम एकस व हजार योजननो उंचो कह्यो; जंबुद्वीपपन्नतीमां हेग्लो कांम एकहजारयो जननो बाहुल्ये कोबे ; मध्य कांम त्रेसठहजार योजननो बाहुल्य कह्यो, उप लोकांम बत्री शहजार जोजननो बाहुल्य कह्यो, एम सर्व पूर्व अपरे थ एक लाख योजन बाहुल्य बे. ए लाख योजन बाहुल्यपणे जंबुद्वीपमां को ते वारे बीजां नदी, पर्वत, अने सात क्षेत्र ए सर्व केम मायां ? ५७ तथा कहे शो के बाहुल्य ते उंचपणु हशे तो पूर्व अपरनो शो अर्थ ? तथा उंचपणु कहे
ai पण समवायांगे नवाणु हजार योजन वे जागे वर्हेच्यो तेहमां प्रथम एकराव हजार ने बीजो यात्रीस हजारनो कह्यो. जंबु झोपपन्नतीमां कांदा सहित त्रणे ना
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